मोदी-शाह के साथ CM योगी की मीटिंग, UP में सरकार और संगठन के बीच तालमेल की चुनौती

मोदी-शाह के साथ CM योगी की मीटिंग, UP में सरकार और संगठन के बीच तालमेल की चुनौती

PM Modi-CM Yogi Meet: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 19जुलाई को दिल्ली दौरे पर थे। उस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। जिससे सियासी गलियारों में हलचल मच गई। इन मुलाकातों में यूपी की सियासत, संगठनात्मक बदलाव और आगामी विधानसभा चुनाव 2027 की रणनीति जैसे कई अहम मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि CM योगी के लिए सरकार और संगठन के बीच संतुलन बनाना क्यों एक चुनौती बना हुआ है? तो आइए इसके कारणों के बारे में जानते हैं।

क्या है मुलाकातों का मकसद?

बता दें, बीते दिन 19जुलाई को सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली में पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करीब एक घंटे तक मुलाकात की। इसके बाद वे भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मिले। इन बैठकों में यूपी भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष का चयन पर चर्चा हुई। मौजूदा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी की जगह किसी ऐसे चेहरे को लाने की योजना है, जो सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरणों को साधते हुए सरकार और संगठन के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित कर सके।

इसके अलावा यूपी के मंत्रिमंडल विस्तार और प्रशासनिक फेरबदल पर भी चर्चा हुई। दरअसल, पार्टी उन नेताओं को बाहर करने पर विचार कर रही है, जिनका काम संतोषजनक नहीं है। साथ ही, नए चेहरों को मौका देकर सामाजिक समीकरणों को मजबूत करने की रणनीति बन रही है। इसके साथ इस मुलाकात में 2027विधानसभा चुनाव की रणनीति पर भी बात हुई। बता दें, सीएम योगी ने पीएम मोदी को यूपी में चल रही प्रमुख परियोजनाओं, जैसे जेवर एयरपोर्ट के उद्घाटन, और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर विस्तृत जानकारी दी।

सरकार और संगठन के बीच संतुलन की चुनौती

सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए सरकार और संगठन के बीच संतुलन बनाना एक जटिल चुनौती है। जैसे यूपी भाजपा में पिछले कुछ समय से आंतरिक मतभेद और गुटबाजी की खबरें सामने आ रही हैं। ऐसे में नए प्रदेश अध्यक्ष का चयन ऐसा होना चाहिए, जो दोनों पक्षों को एकजुट कर सके। इसके अलावा उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण अहम भूमिका निभाते हैं।

मालूम हो कि योगी आदित्यनाथ की मजबूत छवि और यूपी में उनकी लोकप्रियता उन्हें एक बड़े नेता के रूप में स्थापित करती है। इन मुलाकातों को "ऑल इज वेल" का संदेश देने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है, लेकिन संगठन और सरकार के बीच तालमेल बनाए रखना योगी के लिए एक निरंतर चुनौती है।

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