PM Modi News: आज, यानी 21 सितंबर 2025 को, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोपहर 5 बजे देश को संबोधित करने वाले हैं।वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, अनुमान है कि पीएम जीएसटी सुधारों पर विस्तार से चर्चा कर सकते हैं, क्योंकि जीएसटी 2.0 के नए प्रावधान 22 सितंबर से लागू हो रहे हैं, जो उपभोक्ताओं के लिए राहत और व्यापार को आसान बनाने वाले कदम हैं।
इसके अलावा, कुछ लोग यह भी अनुमान लगा रहे हैं कि प्रधानमंत्री 22 सितंबर से आरंभ हो रही शारदीय नवरात्रि पर भी कुछ शुभकामनाएं या संदेश दे सकते हैं। हालांकि, संबोधन के एजेंडे को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, और स्रोतों के अनुसार मुख्य फोकस जीएसटी पर ही रहने की संभावना है।
जीएसटी 2.0 से मिलेगी आम जनता को राहत
सरकार ने जीएसटी 2.0 के तहत कई वस्तुओं पर कर दरों में महत्वपूर्ण कमी की घोषणा की है। अब जीएसटी व्यवस्था में केवल दो मुख्य स्लैब बचे हैं—5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत—जबकि पहले के 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत वाले स्लैब को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। 12 प्रतिशत स्लैब के अधिकांश उत्पादों को अब 5 प्रतिशत की श्रेणी में स्थानांतरित कर दिया गया है, वहीं 28 प्रतिशत स्लैब के ज्यादातर सामान को 18 प्रतिशत स्लैब में डाल दिया गया है। इससे कर प्रणाली सरल और उपभोक्ता-अनुकूल बनी है।
कुछ आवश्यक वस्तुओं पर तो जीएसटी दर को पूरी तरह शून्य प्रतिशत कर दिया गया है। इसका असर 22 सितंबर से दिखेगा, जब इन उत्पादों पर '0' जीएसटी लगेगा। नतीजतन, ये चीजें बाजार में काफी सस्ती हो जाएंगी, जिससे आम आदमी की जेब पर बोझ कम होगा।
भारत-अमेरिका संबंधों में बढ़ता खटास
प्रधानमंत्री मोदी का यह संबोधन एक ऐसे दौर में आ रहा है, जब हाल के महीनों में भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते कुछ तल्ख हो चुके हैं। मुख्य वजह अमेरिका का वह फैसला है, जिसमें रूस से कच्चा तेल आयात करने पर भारत से आने वाले सामान पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ ठोंक दिया गया। इसमें 25 प्रतिशत का अतिरिक्त जुर्माना भी जोड़ा गया, जो दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव को और गहरा रहा।
ट्रंप प्रशासन ने इमिग्रेशन नीतियों में भी सख्ती बरती है, जिसके तहत नए H-1B वीजा आवेदनों के लिए सालाना शुल्क को 1,00,000 अमेरिकी डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) तक बढ़ा दिया गया।इससे खास तौर पर भारतीय आईटी पेशेवरों और H-1B वीजा धारकों में बेचैनी और अनिश्चितता का माहौल पैदा हो गया है, क्योंकि यह उनकी अमेरिका में नौकरी की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है।
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