Allahabad HC On Azam Khan: समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व उत्तर प्रदेश मंत्री आजम खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उन्हें रामपुर के चर्चित क्वालिटी बार कब्जा मामले में जमानत दे दी है। हालांकि, यह जमानत उनके अपील की सुनवाई के दौरान की है और अन्य लंबित मामलों के कारण उनकी रिहाई तत्काल संभव नहीं हो सकती।
कोर्ट ने क्या कहा?
बता दें, 18 सितंबर को जस्टिस समीर जैन की एकल बेंच ने आजम खान की जमानत याचिका को मंजूर कर लिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह जमानत अपील की अंतिम सुनवाई तक सीमित है और यदि अपील खारिज हुई तो सजा लागू हो जाएगी। फैसले में कोर्ट ने कहा कि जमानत की शर्तों में कोर्ट की अनुमति के बिना जिला न छोड़ना और जांच में सहयोग करना शामिल है।
यह फैसला एमपी/एमएलए कोर्ट के फैसले को पलटते हुए आया है, लेकिन अपील पर अंतिम निर्णय अभी बाकी है। आजम खान के वकील इमरान उल्लाह ने कोर्ट में तर्क दिया कि FIR में चार वर्ष की देरी हुई, जो संदेह पैदा करती है। सरकारी पक्ष के वकील ने इसे खारिज किया, लेकिन कोर्ट ने जमानत को मंजूरी दे दी।
क्या है क्वालिटी बार कब्जे वाला मामला?
दरअसल, रामपुर जिले के क्वालिटी बार मामला एक सरकारी संपत्ति से जुड़ा विवाद है, जहां आजम खान पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने फर्जी दस्तावेजों और प्रभाव का दुरुपयोग करके इस संपत्ति पर अवैध कब्जा कराया। रामपुर के एमपी/एमएलए स्पेशल कोर्ट ने 17 मई 2024 को आजम खान को दोषी ठहराते हुए सात वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। साथ ही, जुर्माना भी लगाया गया। इस कोर्ट ने आरोपों को साबित करते हुए कहा कि आजम खान ने राज्य संपत्ति के आवंटन में धोखाधड़ी की।
वहीं, आजम खान ने इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की और जमानत की मांग की। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के तर्क सुने। सरकारी पक्ष ने कब्जे को अवैध बताते हुए जमानत का विरोध किया, जबकि आजम खान के वकीलों ने देरी से एफआईआर दर्ज होने और राजनीतिक प्रतिशोध का हवाला दिया। कोर्ट ने सभी बहस पूरी होने के बाद यह फैसला सुनाया। यह मामला आजम खान के खिलाफ दर्ज 80 से अधिक केसों में से एक है, जिनमें से कई भूमि हड़पने, जबरन बेदखली और धोखाधड़ी से जुड़े हैं। रामपुर में सपा शासनकाल के दौरान हुए कई विवाद इस इलाके की राजनीति का केंद्र बिंदु बने हुए हैं।
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