बिहार SIR विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर, आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में दी मंजूरी

बिहार SIR विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर, आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में दी मंजूरी

Supreme Court On Bihar SIR Controversy: बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) अभियान के तहत मतदाता सूची को अद्यतन करने की प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 08सितंबर को आदेश दिया कि आधार कार्ड को मतदाता पहचान के लिए 12वें दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि आधार कार्ड को नागरिकता या निवास का प्रमाण नहीं माना जाएगा और अधिकारियों को आधार कार्ड की प्रामाणिकता और वास्तविकता की जांच करने का अधिकार होगा।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने SIR मामले में कई सुनवाई के बाद 08सितंबर को एक आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि आधार कार्ड को मतदाता सूची में नाम जोड़ने या पुनर्जनन के लिए स्वीकार्य 11दस्तावेजों के साथ-साथ 12वें दस्तावेज के रूप में शामिल किया जाए। यह फैसला उन मतदाताओं के लिए राहत भरा है, जिनके पास अन्य दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आधार कार्ड केवल पहचान के लिए मान्य होगा, न कि नागरिकता या निवास के प्रमाण के रूप में। आधार अधिनियम की धारा 9और 2018के पुट्टास्वामी मामले के फैसले का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड अपने आप में नागरिकता का सबूत नहीं है।

कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि SIR प्रक्रिया को पारदर्शी और मतदाता-अनुकूल बनाया जाए। मतदाताओं को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से दावा और आपत्ति दर्ज करने की सुविधा दी जाए। इसके लिए पैरा-लीगल वॉलंटियर्स को नियुक्त करने का भी आदेश दिया गया, जो गांव-गांव जाकर मतदाताओं की सहायता करेंगे। इसके अलावा कोर्ट ने बिहार के 12राजनीतिक दलों को उनके बूथ-स्तरीय कार्यकर्ताओं (BLA) को सक्रिय करने का निर्देश दिया, ताकि वे मतदाताओं को फॉर्म 6भरने और दस्तावेज जमा करने में मदद करें। कोर्ट ने 1.68लाख बूथ-स्तरीय एजेंटों की निष्क्रियता पर आश्चर्य जताया, क्योंकि अब तक केवल दो आपत्तियां दर्ज की गई थीं।

बिहार में SIR अभियान

मालूम हो कि बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को शुद्ध करने के लिए चुनाव आयोग ने SIR अभियान शुरू किया था। इस प्रक्रिया के तहत 01अगस्त को जारी ड्राफ्ट मतदाता सूची से लगभग 65लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए थे। इनमें से 22लाख मृतक, 36लाख स्थानांतरित या संपर्क में न आने वाले और 7लाख डुप्लिकेट नाम शामिल थे। इस प्रक्रिया पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाए और आरोप लगाया कि कई पात्र मतदाताओं के नाम बिना उचित जांच के हटा दिए गए। 

इसके अलावा विपक्ष ने यह भी दलील दी कि चुनाव आयोग द्वारा स्वीकार्य 11 दस्तावेजों की सूची में आधार कार्ड को शामिल नहीं किया गया था, जो कि आम लोगों के लिए सबसे सुलभ और व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला पहचान पत्र है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं, जिनमें आधार को मान्य दस्तावेज के रूप में शामिल करने की मांग की गई।

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