गर्मजोशी भरा स्वागत, प्राइवेट डिनर और भेंट की गीता...कुछ ऐसी रही PM मोदी–पुतिन की मुलाकात

गर्मजोशी भरा स्वागत, प्राइवेट डिनर और भेंट की गीता...कुछ ऐसी रही PM मोदी–पुतिन की मुलाकात

Putin India Visit:भारत-रूस संबंधों की मजबूती का एक और जीवंत प्रमाण देखने को मिला जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 04 दिसंबर को नई दिल्ली पहुंचे। चार साल बाद भारत की धरती पर कदम रखते ही उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गर्मजोशी से स्वागत दिया। दौरे का पहला दिन भव्य समारोह, निजी भोज और रणनीतिक चर्चाओं से सजा रहा, जो दोनों देशों के बीच सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का संकेत देता है। इस दौरान पीएम मोदी ने अपने 'दोस्त' पुतिन को भगवद्गीता की रूसी अनुवाद वाली प्रति भेंट की, जिसे उन्होंने करोड़ों लोगों की प्रेरणा बताया।

हवाई अड्डे पर गर्मजोशी भरा स्वागत

बता दें, कल शाम के समय पलम एयरपोर्ट पर उतरते ही पुतिन का स्वागत पारंपरिक अंदाज में हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने खुद उन्हें रिसीव किया, जहां सांस्कृतिक नृत्य और गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश ने माहौल को और अच्छा बना दिया।  दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से गले मिलकर अपनी निजी दोस्ती का परिचय दिया। इसके बाद वे एक ही कार में सवार होकर लोक कल्याण मार्ग स्थित पीएम आवास पहुंचे। पुतिन का यह दौरा 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए है, जो आज पांच दिसंबर को जारी रहेगा। पहले दिन की शुरुआत ही ऐसे हुई कि दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में गहन बातचीत की नींव पड़ गई।

निजी भोज के दौरान चर्चाएं

पीएम आवास पर आयोजित निजी भोज दौरे का हाइलाइट साबित हुआ। सात लोक कल्याण मार्ग पर हुए इस भोज में भारतीय व्यंजनों की चुस्कियों के बीच दोनों नेताओं ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर बात की। यह भोज न केवल औपचारिकता से परे था, बल्कि इसमें रूस-भारत साझेदारी की गहराई झलक रही थी। पुतिन ने यहां भारत के 77 सालों में हुए चमत्कारिक विकास की सराहना की और कहा कि दोनों देशों का सहयोग किसी तीसरे के विरुद्ध नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा 'हमारा सहयोग विशाल है और बाहरी दबावों के बावजूद हम कभी किसी के खिलाफ नहीं सोचते।'

भेंट में दी गीता की रूसी प्रति

भोज के दौरान पीएम मोदी ने पुतिन को एक अनमोल उपहार भेंट किया भगवद्गीता की रूसी भाषा में अनुवादित प्रति। मोदी ने इसे सौंपते हुए कहा 'राष्ट्रपति पुतिन को रूसी भाषा में गीता की एक प्रति भेंट की। गीता के उपदेश विश्व भर में करोड़ों लोगों को प्रेरणा देते हैं।' यह उपहार न केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रतीक था, बल्कि दोनों नेताओं की दार्शनिक सोच को भी उजागर करता है। पुतिन ने भी इस मूल्यवान भेंट को मुस्कुराते हुए स्वीकार किया। यह भेंट द्विपक्षीय संबंधों को आध्यात्मिक आयाम प्रदान करती है, जहां गीता के संदेश जैसे 'कर्मयोग' और 'समता' दोनों देशों की नीतियों से मेल खाते हैं।

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