Ayodhya Deepotsav:उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अयोध्या में आयोजित 9वें दीपोत्सव ने एक बार फिर शहर को रोशनी की सौगात दी। सरयू नदी के तट पर राम की पैड़ी सहित 56 घाटों पर 26,11,101 दीपों की जगमगाहट ने विश्व रिकॉर्ड बनाया। यह आयोजन राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार इतने भव्य रूप में हुआ, जहां CM योगी ने स्वयं भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के रूप में सजे कलाकारों की आरती उतारी, जो आस्था और संस्कृति का अनुपम संगम बना।
दीपों की जगमगाहट ने बनाया विश्व रिकॉर्ड
बता दें, आज शाम 5 बजे से शुरू हुए इस भव्य समारोह में 33,000 स्वयंसेवकों ने मिलकर दीप प्रज्वलन का कार्य संभाला। राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं, स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों और प्रशासनिक टीमों ने घाटों को रंगोली, फूलों और दीयों से सजाया। गुड़गुडा टीला से राम की पैड़ी तक फैले इन घाटों पर ड्रोन और लेजर शो ने आकाश को रोशन किया, जबकि 2,100 कलाकारों ने सामूहिक आरती में भाग लिया, जो एक नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है। गुन्नीस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अधिकारी रिचर्ड स्टेनिंग ने ड्रोन गणना के माध्यम से दीपों की संख्या की पुष्टि की, जो पिछले वर्ष के 22.23 लाख से कहीं अधिक थी।
CM योगी ने समारोह का उद्घाटन करते हुए पुष्पक विमान के आकार का रथ खींचा, जिसमें भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के कलाकार सवार थे। उन्होंने कहा 'दीपोत्सव केवल रोशनी का त्योहार नहीं, बल्कि अंधकार पर विजय का प्रतीक है। अयोध्या आज विश्व पटल पर राम की नगरी के रूप में चमक रही है और यह सब भगवान राम की कृपा से संभव हुआ।' इस कार्यक्रम में नेपाल, थाईलैंड, म्यांमार, मलेशिया, कंबोडिया और इंडोनेशिया के कलाकारों ने रामायण पर आधारित सांस्कृतिक प्रदर्शन किए, जबकि उत्तराखंड की रामलीला ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। 40 जंबो एलईडी स्क्रीन के माध्यम से यह आयोजन लाइव प्रसारित किया गया, जिससे लाखों श्रद्धालु वर्चुअल रूप से जुड़े।
2017 से हुई थी शुरुआत
मालूम हो कि दीपोत्सव की शुरुआत 2017 से CM योगी के नेतृत्व में हुई थी, जब मात्र 1.71 लाख दीप जलाए गए थे। तब से यह संख्या निरंतर बढ़ती गई। साल 2018 में 3.01 लाख, 2019 में 4.04 लाख, 2020 में 6.06 लाख, 2021 में 9.41 लाख, 2022 में 15.76 लाख, 2023 में 22.23 लाख, और अब 2025 में 26 लाख से ज्यादा।
वहीं, पिछले दिन 18 अक्टूबर को 21,000 श्रद्धालुओं ने सामूहिक सरयू आरती में भाग लिया, जो विश्व का सबसे बड़ा सामूहिक आरती का रिकॉर्ड बना। इसकी गिनती क्यूआर कोड के माध्यम से की गई। सुरक्षा व्यवस्था अचूक रही, जहां पुलिस बल और मजिस्ट्रेट तैनात थे। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय ने स्थानीय कारीगरों से ही दीपों का ऑर्डर दिया, जिससे उनकी आजीविका को बल मिला।
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