Loksabha Election 2024: जैसे जैसे लोकसभा चुनाव करीब आ रहे हैं वैसे वैसे इंडिया गठबंधन की राहें मुश्किल होती जा रही है। अब उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन अधर में लटका हुआ है। दरअसल, ये दोनों पार्टियों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बात नहीं बन पा रही है। कहा जा रहा तीन सीटें हैं जिनको लेकर सारा पेंच फंसा है।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होने से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। जिससे जाहिर तौर पर दोनों पार्टियों की रिश्तों पर भी पड़ा है। सपा ने कांग्रेस पर पहले 11 सीटें ऑफर की फिर बाद में 17 सीटें। लेकिन कांग्रेस इस पर भी राजी नहीं है। सारा पेंच तीन सीटों को लेकर फंस रहा है। ये तीन सीटें हैं बलिया, मुरादाबाद और बिजनौर। यहां से कांग्रेस अपने दिग्गज नेताओं को चुनावी मैदान में उतारना चाहती है लेकिन सपा इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं है।
एक ही वोट बैंक पर टिका सियासी आधार
लोकसभा सीटों के आधार पर सबसे बड़े गढ़ उत्तर प्रदेश में दोनों पार्टियों का सियासी आधार एक ही वोट बैंक पर टिका हुआ है वो है मुस्लिम मतदाता। समाजवादी पार्टी इस बात को बखूबी जानती है कि अगर एक बार मुस्लिम मतदाता उसे छिटकर कांग्रेस के पाले में चला गया तो उसे दोबारा वापस लाना मुश्किल हो जाएगा। इसके साथ ही सपा की मुस्लिम वोटबैंक के सहारे ही यूपी सियासत में अहम भूमिका है। चूंकि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा चल रही है तो कही ना कही इस यात्रा से सियासी हालात बदले हैं और मुस्लिम वोटर एक बार फिर कांग्रेस की तरफ लौट रहा है। ऐसे में समाजवादी पार्टी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है।
सपा के लिए खड़ी हो सकती है राजनीतिक चुनौती
सपा इस बात को भी भली भांति जानती है कि अगर कांग्रेस यूपी में दोबारा से मुस्लिम वोटों पर अपनी पकड़ बनाए रखने में सफल हो जाती है तो फिर उसके लिए भविष्य में राजनीतिक चुनौती खड़ी हो जाएगी। ऐसे में अखिलेश मुस्लिम सीटें न कांग्रेस को देना चाहते हैं और न ही राहुल गांधी के साथ मंच शेयर करना चाहते हैं। ऐसे में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या साइकल पर कांग्रेस का हाथ लगता है या फिर यूपी में गठबंधन टूट जाएगा।
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