मुंह के कैंसर को लेकर एशियाई देशों में शीर्ष स्थान पर भारत, ये आदतें बना रही है सभी को शिकार

मुंह के कैंसर को लेकर एशियाई देशों में शीर्ष स्थान पर भारत, ये आदतें बना रही है सभी को शिकार

Oral Cancer: कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनता जा रहा है, जिसका खतरा अब लगभग हर उम्र के लोगों में देखा जा रहा है। विशेष रूप से, पुरुषों में मुंह और फेफड़ों के कैंसर के मामले सबसे अधिक रिपोर्ट किए जा रहे हैं। भारत में मुंह के कैंसर का जोखिम तेजी से बढ़ रहा है, और इस संदर्भ में सामने आ रहे आंकड़े चिंताजनक हैं।

दक्षिण एशिया में सबसे अधिक मुंह के कैंसर के मामले

हाल ही में द लैंसेट ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, दक्षिण एशिया में भारत मुंह के कैंसर के मामलों में सबसे ऊपर है। 2022 में वैश्विक स्तर पर मुंह के कैंसर के 1.20 लाख से अधिक मामले सामने आए, जिनमें से 83,400 मामले भारत के थे। अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि अधिकांश मुंह के कैंसर के मामले तंबाकू चबाने से होते हैं, और हर साल सामने आने वाले ओरल कैंसर के 30 प्रतिशत से अधिक मामले धुंआ रहित तंबाकू के सेवन के कारण होते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि मुंह का कैंसर एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर भी बोझ बढ़ रहा है।

दक्षिण-मध्य एशियाई देशों में कैंसर की स्थिति

अध्ययन में कहा गया है कि मुंह के कैंसर के सबसे अधिक मामले दक्षिण-मध्य एशियाई देशों से हैं। कुल 105,500 मामलों में से भारत में 83,400, बांग्लादेश में 9,700, पाकिस्तान में 8,900 और श्रीलंका में 1,300 केस दर्ज किए गए। इसके अलावा, दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में भी मुंह के कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है; म्यांमार में 1,600, इंडोनेशिया में 990 और थाईलैंड में 785 मामले सामने आए हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि पुरुषों में इस कैंसर का खतरा सबसे अधिक होता है, और युवा आबादी भी इससे प्रभावित हो रही है।

विशेषज्ञों की चेतावनी

अध्ययन के सह-लेखक डॉ. पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि तंबाकू, गुटखा और सुपारी मुंह के कैंसर के अलावा सबम्यूकस फाइब्रोसिस नामक बीमारी का भी खतरा बढ़ाते हैं। यह बीमारी विशेषकर युवा आबादी को प्रभावित कर रही है, जिससे परिवारों पर आर्थिक और भावनात्मक बोझ बढ़ रहा है। उन्होंने धुंआ रहित तंबाकू और सुपारी पर नियंत्रण के लिए मौजूदा कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता बताई।

तंबाकू उद्योग की चिंताएं

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि तंबाकू उद्योग से जुड़ी कंपनियों द्वारा विज्ञापनों में मशहूर हस्तियों को काम पर रखना एक गंभीर समस्या है, जिसका आम जनता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अनुमान है कि दुनिया भर में 300 मिलियन लोग तम्बाकू का उपयोग करते हैं और 600 मिलियन लोग सुपारी का उपयोग करते हैं, और एशियाई देशों में जोखिम और भी अधिक है।मुंह के कैंसर के मामलों की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

लक्षणों की पहचान और समय पर जांच की महत्ता

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, मुंह के कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाले प्रमुख कारक तंबाकू सेवन, अत्यधिक शराब का सेवन, और ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यदि किसी के होंठ या मुंह में कोई घाव ठीक नहीं हो रहा है, या मुंह के अंदर सफेद या लाल धब्बे हैं, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। समय पर निदान से कैंसर का इलाज और जान बचाने की संभावना बढ़ जाती है।

Leave a comment