'डीजीपी की कहानी झूठी, सरकार है असली जड़', सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर पत्नी का बड़ा बयान

'डीजीपी की कहानी झूठी, सरकार है असली जड़', सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर पत्नी का बड़ा बयान

Ladakh Protests: लद्दाख के पर्यावरण कार्यकर्ता और नवाचारक सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि एंगमो ने एक बड़ा बयान जारी किया है। उन्होंने लद्दाख के डीजीपी एसडी सिंह जामवाल द्वारा लगाए गए पाकिस्तान से जुड़े आरोपों को पूरी तरह झूठा बताया है। उन्होंने कहा कि यह सब सरकार की सुनियोजित साजिश का हिस्सा है। एंगमो का मानना है कि वांगचुक को छठी अनुसूची और राज्य का दर्जा देने से रोकने के लिए बलि का बकरा बनाया जा रहा है।

मालूम हो कि यह बयान वांगचुक की गिरफ्तारी के चार दिन बाद आया है, जब 24सितंबर को लेह में हुई हिंसक झड़पों के बाद उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत गिरफ्तार कर राजस्थान के जोधपुर जेल भेज दिया गया। 

लद्दाख के डीजीपी के आरोप

लद्दाख के डीजीपी एसडी सिंह जामवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में वांगचुक पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि वांगचुक की पाकिस्तान यात्राओं और वहां के अधिकारियों से कथित संपर्कों की जांच चल रही है। जामवाल ने जिक्र किया कि पिछले महीने गिरफ्तार एक पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी (पीआईओ) ने वांगचुक की रैलियों के वीडियो सीमा पार भेजे थे। इसके अलावा, वांगचुक पर हिंसा भड़काने, भड़काऊ भाषण देने और विदेशी फंडिंग के उल्लंघन का आरोप लगाया गया। डीजीपी ने दावा किया कि वांगचुक केंद्र और स्थानीय निकायों के बीच चल रही वार्ता को 'सबोटाज' कर रहे थे।

झूठी कहानी गढ़ी जा रही - वांगचुक की पत्नी

गीतांजलि एंगमो हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लर्निंग (एचआईएएल) की सह-संस्थापक हैं। उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा 'हम डीजीपी के बयानों की कड़ी निंदा करते हैं। न सिर्फ मैं, बल्कि लद्दाख के हर व्यक्ति इन आरोपों को नकारते हैं। यह एक बनावटी नैरेटिव है, जिसका मकसद किसी को फंसाना है ताकि सरकार अपनी मर्जी से कुछ भी कर सके।' एंगमो ने स्पष्ट किया कि वांगचुक की पाकिस्तान यात्राएं जलवायु परिवर्तन पर व्याख्यानों के लिए थीं, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ भी की।

हिंसा पर गीतांजलि एंगमो ने CRPF को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने पृछा 'किसने CRPF को अपने ही लोगों पर गोली चलाने का आदेश दिया? लद्दाख में कभी हिंसक प्रदर्शन नहीं हुए। वांगचुक भूख हड़ताल पर थे, उन्हें कुछ पता ही नहीं था।' उन्होंने भड़काऊ भाषण के आरोप को भी खारिज करते हुए कहा कि वांगचुक के लद्दाखी भाषा के शब्दों का गलत अनुवाद किया गया। वास्तव में, उन्होंने नेपाल और बांग्लादेश की "जेन जेड" आंदोलनों का उदाहरण देकर सरकार को चेतावनी दी थी कि असंतोष दबाने से क्रांति हो सकती है।

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