Christmas Special: अकबर से लेकर शाहजहां तक, मुगलों के शासनकाल में क्रिसमस का उत्सव कैसे मनाया जाता था?

Christmas Special: अकबर से लेकर शाहजहां तक, मुगलों के शासनकाल में क्रिसमस का उत्सव कैसे मनाया जाता था?

Christmas Celebration In Mughal Era: दुनिया भर में क्रिसमस का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। प्रभु यीशु मसीह के जन्मदिन पर चर्चों में विशेष प्रार्थनाएं और आयोजन हो रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मुगल काल में भी भारत में क्रिसमस का जश्न बड़ी भव्यता से मनाया जाता था? अकबर से लेकर बहादुर शाह जफर तक कई मुगल शासकों ने इस त्योहार को अपनाया और इसे खास बनाया।

बता दें कि,मुगल साम्राज्य के समय आगरा एक महत्वपूर्ण राजधानी थी। यहां यूरोपीय यात्री इस शहर की भव्यता और यमुना किनारे के महलों की सुंदरता से प्रभावित होते थे। उस समय आगरा में इटैलियन ज्वेलर्स, पुर्तगाली व्यापारी, डच नाविक और मध्य एशियाई कलाकार बड़ी संख्या में मौजूद थे। इस अंतरराष्ट्रीय माहौल की वजह से क्रिसमस का त्योहार यहां बड़े पैमाने पर मनाया जाता था। शहर की गलियां रंग-बिरंगे तोरणों से सजाई जाती थीं। विभिन्न देशों के झंडे सर्द हवाओं में लहराते थे।

अकबर और जहांगीर के शासनकाल में शुरू हुई परंपरा

अकबर ने ईसाई धर्मगुरुओं को अपने दरबार में आमंत्रित किया और आगरा में एक चर्च बनाने की अनुमति दी। क्रिसमस के दिन अकबर चर्च में प्रार्थना के लिए जाते थे। वहां यीशु मसीह के जन्म की झांकी लगाई जाती थी। आगरा किले में इस अवसर पर विशेष रात्रिभोज का आयोजन भी होता था। अकबर और उनके बेटे जहांगीर के शासनकाल में यह परंपरा और व्यवस्थित हो गई।

हालांकि,शाहजहां के समय पुर्तगालियों के साथ विवाद हुआ। इस कारण चर्च को ढहा दिया गया और ईसाइयों की प्रार्थना पर रोक लगा दी गई। हालांकि, 1640में संबंध सुधरने पर चर्च का पुनर्निर्माण किया गया।

आजादी के बाद क्रिसमस की नई शुरुआत

स्वतंत्रता के बाद 1958में आगरा के पहले भारतीय आर्कबिशप डॉ. डोमिनिक आर्केड ने क्रिसमस परंपराओं को फिर से जीवित किया। हालांकि, मुगलकाल के भव्य उत्सव अब केवल इतिहास का हिस्सा हैं।क्रिसमस का यह सफर दिखाता है कि त्योहार सिर्फ धार्मिक नहीं होते, बल्कि यह सांस्कृतिक विविधता और एकता का भी प्रतीक हैं।

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