Who Is Balendra Shah: नेपाल में हाल ही में लगाए गए सोशल मीडिया प्रतिबंध ने देश को राजनीतिक उथल-पुथल में धकेल दिया। सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और एक्स जैसे प्लेटफॉर्म्स पर पाबंदी लगाकर फर्जी खबरों को रोकने का दावा किया, मगर जनता ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला माना। खासकर युवा वर्ग, खासतौर पर जेनरेशन Z, सड़कों पर उतर आया।
विरोध प्रदर्शन जल्द ही हिंसक हो गए, जिसमें कई लोगों की जान गई, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी भी शामिल थीं। पुलिस की सख्ती और खून की कमी ने हालात को और बिगाड़ दिया, लेकिन युवाओं ने रक्तदान जैसे कदमों से एकजुटता दिखाई। इस अशांति के बीच काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह, जिन्हें बालेन के नाम से जाना जाता है, एक नए नेतृत्व के प्रतीक बनकर उभरे।
प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफा से उभरें बालेन
लगातार बढ़ते जनाक्रोश और बिगड़ती स्थिति के चलते मंगलवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। इस सियासी खालीपन में बालेन शाह का नाम तेजी से उभरा। हालांकि उन्होंने प्रधानमंत्री पद के लिए कोई आधिकारिक दावा नहीं किया, लेकिन प्रदर्शनकारी उनसे नेतृत्व की गुहार लगा रहे हैं। बालेन ने इसे 'जेन Z का आंदोलन' करार देते हुए युवाओं की भावनाओं को समझने की बात कही। फेसबुक पर उन्होंने लिखा, “यह युवा शक्ति का विस्फोट है, इसमें राजनीतिक दलों को दखल नहीं देना चाहिए।” उन्होंने शांति और संयम की अपील की, साथ ही सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा का आह्वान किया, जिससे उनकी जिम्मेदार छवि और मजबूत हुई।
रैप से मेयर तक: बालेन का अनोखा सफर
27अप्रैल 1990को काठमांडू में जन्मे बालेन शाह का मूल परिवार मधेश के महोत्तरी से है। सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक और कर्नाटक से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में मास्टर्स करने वाले बालेन पहले एक रैपर थे। उनके गीत 'बलिदान' जैसे भ्रष्टाचार विरोधी गीत युवाओं के बीच गूंजे। 2022में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर काठमांडू के मेयर का चुनाव जीता, पारदर्शिता और कचरा प्रबंधन जैसे मुद्दों पर काम किया। उनकी रैपिंग पृष्ठभूमि ने उन्हें युवाओं का चहेता बनाया, जो उन्हें अपनी आवाज मानते हैं।
विवादों से भी रहा नाता
बालेन की लोकप्रियता के बावजूद विवादों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। रेहड़ी-पटरी वालों के खिलाफ उनकी कार्रवाई को मानवाधिकार संगठनों ने अमानवीय बताया। 2023में फिल्म 'आदिपुरुष' के एक संवाद पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने भारतीय फिल्मों पर अस्थायी प्रतिबंध लगाया, जिसे बाद में कोर्ट के आदेश पर हटाना पड़ा। फिर भी, बालेन शाह नेपाल की नई पीढ़ी के लिए उम्मीद की किरण बने हुए हैं, जो बदलाव की चाह में उनके साथ खड़ी है।
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