Uttarkashi Rescue Update: उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में चल रहे 41 श्रमिकों के रेस्क्यू ऑपरेशन का आज 17वां दिन है। अब रैट-होल माइनर्स श्रमिकों से कुछ ही मीटर दूर है। मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मलबे में पाइप को 52 मीटर तक डाला जा चुका है, और लक्ष्य बिंदु 57 मीटर है। रैट-होल माइनर्स की 12 विशेषज्ञों की एक टीम सुरंग के ढह गए हिस्से के आखिरी 10 या 12 मीटर के हिस्से पर काम कर रही है।
मशीनें हुई फेल, इंसानों के सहारे रेस्क्यू मिशन
आपको बता दें कि, मजदूर सुरंग में करीब 60 मीटर की दूरी पर फंसे हैं। ऑगर मशीन ने 48 मीटर तक ड्रिलिंग की थी। इसके बाद मशीन सुरंग में फंस गई थी। इसे काटकर बाहर निकाला गया। इसके बाद रैट माइनर्स ने मैन्युअल खुदाई शुरू की। सोमवार से अब तक चार-पांच मीटर तक खुदाई की जा चुकी है। ऐसे में अब 7-8 मीटर खुदाई ही बाकी मानी जा रही है।
उधर, मैन्युअल हॉरिजेंटल ड्रिलिंग के लिए दो प्राइवेट कंपनियों की दो टीमों को लगाया है। एक टीम में 5 एक्सपर्ट हैं, जबकि दूसरी में 7 इन 12 सदस्यों को कई टीमों में बांटा गया है। ये टीमें बचे हुए मलबे को बाहर निकालेंगी। इसके बाद 800 एमएम व्यास का पाइप डाला जाएगा। एनडीआरएफ की टीमें इसी के सहारे मजदूरों को बाहर निकालेंगी।
क्या है रैट होल माइनिंग?
सिल्क्यारा सुरंग में बाकी हॉरिजेंटल खुदाई मैन्युअल विधि से की जा रही है। इसमें सुरंग बनाने में विशेष कौशल रखने वाले व्यक्तियों को चुना गया है। इन्हें रैट-होल माइनर कहा जाता है। रैट-होल माइनिंग अत्यंत संकीर्ण सुरंगों में की जाती है। कोयला निकालने के लिए माइनर्स हॉरिजेंटल सुरंगों में सैकड़ों फीट नीचे उतरते हैं। चुनौतीपूर्ण इलाकों खासकर मेघालय में कोयला निकालने के लिए इसका विशेष तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
आपको बता दें कि, 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मजदूरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। एनजीटी द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद, अवैध रूप से रैट-होल खनन जारी है। उत्तराखंड सरकार के नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने स्पष्ट किया कि रेस्क्यू साइट पर लाए गए लोग रैट माइनर्स नहीं बल्कि इस तकनीक में विशेषज्ञ लोग हैं।
12 नवंबर से फंसे हैं मजदूर
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलक्यारा सुरंग केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चारधाम ‘ऑल वेदर सड़क' (हर मौसम में आवाजाही के लिए खुली रहने वाली सड़क) परियोजना का हिस्सा है। ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही यह सुरंग 4।5 किलोमीटर लंबी है। 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा ढह गया। इससे मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए। इन्हें निकलने के लिए 16 दिन से रेस्क्यू अभियान जारी है। लेकिन अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली।
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