न्यूजीलैंड में भारत का विरोध, फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के खिलाफ हुए विंस्टन पीटर्स

न्यूजीलैंड में भारत का विरोध, फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के खिलाफ हुए विंस्टन पीटर्स

India New Zealand FTA: भारत और न्यूजीलैंड के बीच ऐतिहासिक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को अंतिम रूप दे दिया गया है, लेकिन न्यूजीलैंड में इस समझौते को लेकर सभी लोग खुश नहीं हैं। न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री और फर्स्ट पार्टी के नेता विंस्टन पीटर्स ने इस समझौते का खुलकर विरोध किया है। उन्होंने इसे “न तो फ्री और न ही फेयर” यानी न तो स्वतंत्र और न ही न्यायसंगत करार दिया है।

न्यूजीलैंड के लोगों को फायदा नहीं- विंस्टन पीटर्स

सोमवार, 22 दिसंबर को जारी एक प्रेस रिलीज में विंस्टन पीटर्स ने कहा कि न्यूजीलैंड फर्स्ट आज घोषित भारत-न्यूजीलैंड फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का विरोध करती है। हमारे हिसाब से यह सौदा न तो फ्री है और न ही फेयर। उन्होंने कहा कि ये समझौता न्यूजीलैंड के लिए नुकसानदेह है। पीटर्स का आरोप है कि इस सौदे में न्यूजीलैंड ने बहुत कुछ दे दिया है, खासतौर पर इमिग्रेशन के मामले में, लेकिन बदले में न्यूजीलैंड के लोगों को ज्यादा फायदा नहीं मिला। उन्होंने डेयरी सेक्टर का खास तौर पर जिक्र किया।

पीटर्स ने लगाया आरोप

पीटर्स ने कहा कि उनकी पार्टी ने गठबंधन सरकार के साझेदारों से अपील की थी कि इस समझौते को जल्दबाजी में न किया जाए। उनका कहना था कि संसद के पूरे 3 साल के कार्यकाल में बातचीत कर एक बेहतर और संतुलित समझौता किया जा सकता था, जिससे भारत और न्यूजीलैंड दोनों को फायदा होता, लेकिन उनकी चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया गया। पीटर्स ने आरोप लगाया कि नेशनल पार्टी ने गुणवत्ता की बजाय जल्दबाजी को प्राथमिकता दी।

डेयरी सेक्टर हुआ बाहर

इस एफटीए की एक बड़ी खासियत यह है कि यह न्यूजीलैंड का पहला व्यापार समझौता है, जिसमें उसके प्रमुख डेयरी उत्पादों को शामिल नहीं किया गया है। नवंबर 2025 तक न्यूजीलैंड के डेयरी निर्यात की कीमत करीब 24 अरब डॉलर थी, जो देश के कुल वस्तु निर्यात का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा है। ऐसे में डेयरी सेक्टर को बाहर रखना कई सवाल खड़े करता है।

बेरोजगारी और आर्थिक चुनौतियां हुए नजरअंदाज- विदेश मंत्री

विंस्टन पीटर्स ने ये भी कहा कि भारत को ऐसे कई फायदे दिए गए हैं, जिसका सीधा संबंध व्यापार से नहीं है। इनमें ज्यादा भारतीय कामगारों को न्यूजीलैंड आने के लिए प्रोत्साहन देना और भारत में न्यूजीलैंड के निवेश को बढ़ाना शामिल है। उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति के हिसाब से न्यूजीलैंड ने भारत को अपने श्रम बाजार तक ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन से भी ज्यादा पहुंच दी है। पीटर्स के अनुसार, मौजूदा बेरोजगारी और आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए ये फैसला समझदारी भरा नहीं है।

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