भारत को पूरी तरह स्वच्छ हवा पाने के लिए में लग सकते हैं 188 साल, ग्लोबल रिपोर्ट में मिली चेतावनी

भारत को पूरी तरह स्वच्छ हवा पाने के लिए में लग सकते हैं 188 साल, ग्लोबल रिपोर्ट में मिली चेतावनी

India Pollution: भारत के कई शहर जहरीली धुंध और गंभीर वायु प्रदूषण से परेशान  हैं। इसी बीच एक नई ग्लोबल रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि अगर देश मौजूदा रफ्तार से ही साफ ऊर्जा अपनाता रहा, तो पूरी तरह स्वच्छ ऊर्जा पर जाने में भारत को लगभग 188 साल लग सकते हैं। ये अध्ययन स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है, जिसमें दुनिया के 150 देशों का विश्लेषण शामिल था।

रिपोर्ट में क्या कहा गया

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अपने ऊर्जा सिस्टम से हवा प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन पूरी तरह खत्म करने में दो सदियों से अधिक समय लग सकता है। वहीं, चीन, जो दुनिया का सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता और प्रदूषक है, 2051 तक 100 फीसदी साफ ऊर्जा पर पहुंच सकता है। अमेरिका को यह लक्ष्य हासिल करने में 2128 तक का समय लग सकता है।

ये रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब दिल्ली-एनसीआर समेत भारत के कई हिस्से घातक स्मॉग की चपेट में हैं। तापमान में उलटफेर के कारण प्रदूषक जमीन के पास फंस गए हैं और कई शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार पहुंच गया है, जिसे सभी के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है।

क्यों बढ़ बढ़ रहा प्रदूषण?

भारत पहले से ही दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित देशों में शामिल है। वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2023 के अनुसार, दुनिया के 100 सबसे प्रदूषित शहरों में से 83 भारत में हैं। देश में प्रदूषण के मुख्य कारणों में उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं, निर्माण कार्यों की धूल, कोयले से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट, कचरा जलाना और ग्रामीण और गरीब इलाकों में खाना पकाने के लिए लकड़ी और उपलों का इस्तेमाल शामिल हैं।

हेल्थ के लिए खतरनाक

लैंसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में भारत में 17 लाख से ज्यादा मौतें मानव-जनित वायु प्रदूषण की वजह से हुईं। इनमें सबसे बड़ा कारण बारीक कण (PM2.5) रहे, जो फेफड़ों के माध्यम से खून में पहुंचकर कई अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को तत्काल ठोस कदम उठाने होंगे, जैसे कि कोयले पर निर्भरता कम करना, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना और वाहनों व उद्योगों के प्रदूषण नियंत्रण को सख्त करना। नहीं तो हवा की गुणवत्ता में सुधार और स्वच्छ ऊर्जा पर संक्रमण को सुनिश्चित करना दो सदियों से भी लंबा समय ले सकता है।

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