
Vanvaas Review: सालों बाद सिनेमाघरों में एक पारिवारिक फिल्म आई है, जो हर उम्र के दर्शकों के लिए उपयुक्त है। निर्देशक अनिल शर्मा ने अपनी फिल्म ‘वनवास’ में नाना पाटेकर, उत्कर्ष शर्मा और सिमरत कौर को प्रमुख भूमिकाओं में प्रस्तुत किया है। यह फिल्म न केवल मनोरंजक है, बल्कि दर्शकों को एक गहरा संदेश भी देती है।
कहानी किस पर आधारित है?
फिल्म की कहानी हिमाचल प्रदेश के पालमपुर से शुरू होती है, जहां दीपक त्यागी (नाना पाटेकर) अपने तीन बेटों के साथ रहते हैं। दीपक को बढ़ती उम्र के कारण भूलने की बीमारी हो गई है, और उसे सिर्फ अपनी पत्नी और छोटे बेटे की यादें ताजा रहती हैं। वह जानता है कि उसके तीनों बेटे बड़े हो चुके हैं और उनकी अपनी दुनिया बस चुकी है।
दीपक चाहता है कि उसका घर एक ट्रस्ट में बदल जाए, लेकिन उसके बेटे और बहुएं इसे पसंद नहीं करते। इसके बाद वे उसे बनारस भेज देते हैं। अपनी कमजोर याददाश्त के कारण, दीपक अपने अतीत को ढूंढने निकल पड़ता है और उसकी मुलाकात ठग वीरू (उत्कर्ष शर्मा) से होती है। अब सवाल उठता है कि क्या दीपक अपने घर वापस जा पाएंगे?
नाना पाटेकर की शानदार अदाकारी
फिल्म की कहानी भावनाओं, हंसी, टकराव और माफी से भरपूर है, जिसे अनिल शर्मा ने खूबसूरती से प्रस्तुत किया है। नाना पाटेकर का अभिनय बेहद प्रभावी है, जो फिल्म के हर पल को जीवंत बना देता है। हालांकि, उत्कर्ष शर्मा और सिमरत कौर को अभी और मेहनत की जरूरत है, लेकिन उनका प्रदर्शन ठीक है।
सिनेमेटोग्राफी और संगीत
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी पारिवारिक माहौल को बहुत सुंदर तरीके से पेश करती है। बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म के भावनात्मक उतार-चढ़ाव से मेल खाता है, जो दर्शकों के अनुभव को और गहरा करता है। हालांकि, संगीत कुछ हद तक निराश कर सकता है।
‘वनवास’ केवल एक फिल्म नहीं है, यह हमारी जिंदगी के रिश्तों और उनकी अहमियत का आईना है। यह हमें मानवीय भावनाओं की नाजुकता और मजबूती का एहसास कराती है। मेरी तरफ से इस फिल्म को 3.5 स्टार मिलते हैं।
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