पंजाब में बैन हुई कंगना रनौत की इमरजेंसी फिल्म, SGPC के विरोध के कारण लिया गया बड़ा फैसला

पंजाब में बैन हुई कंगना रनौत की इमरजेंसी फिल्म, SGPC के विरोध के कारण लिया गया बड़ा फैसला

Emergency Will Not Be Released In Punjab: पंजाब के अमृतसर में भाजपा सांसद और बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के सदस्य इस फिल्म को लेकर विरोध कर रहे हैं और इसे बैन करने की मांग कर रहे हैं। अमृतसर के पीवीआर सूरज चंदा तारा सिनेमा के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।

SGPC का कहना है कि उनका विरोध इमरजेंसी फिल्म के खिलाफ है क्योंकि इसमें सिख धर्म और 1984के सिख नरसंहार के इतिहास को गलत तरीके से पेश किया गया है। उनका आरोप है कि फिल्म ने इन महत्वपूर्ण घटनाओं को तोड़-मरोड़कर दिखाया है, जो समाज में गलत संदेश दे सकता है।

सरकार और सेंसर बोर्ड से जांच की अपील

पंजाब कांग्रेस के प्रमुख अमरिन्दर सिंह राजा वारिंग ने सरकार और सेंसर बोर्ड से अपील की है कि वे ऐसी फिल्मों पर नजर रखें। उन्होंने कहा कि ऐसी फिल्में अक्सर स्क्रिप्टेड होती हैं, जो वास्तविकता से परे होती हैं। उनका कहना था कि फिल्म निर्माता मसालेदार कहानी बनाने के लिए इस तरह की गलत जानकारी दिखाते हैं, ताकि फिल्म ज्यादा सफल हो सके।

एसजीपीसी का कड़ा विरोध, करी प्रतिबंध की मांग

एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि इमरजेंसी फिल्म सिखों के पवित्र स्थलों और 1984के सिख नरसंहार से जुड़े तथ्यों को छुपाकर सिख विरोधी एजेंडा फैला रही है। उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांग नहीं मानी जाती, तो वे इसके खिलाफ कड़ा विरोध करेंगे।

कई जिलों में फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक

एसजीपीसी ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र लिखकर फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन अभी तक इस पर कोई जवाब नहीं आया है। अमृतसर, बरनाला, मोगा, पटियाला और मनसा जैसे जिलों में फिल्म की रिलीज पर रोक लगाई जा चुकी है।

फिल्म पर क्यों हो रहा विवाद?

फिल्म के सिख समुदाय के चित्रण को लेकर यह विवाद उठ रहा है। पहले भी, सिख संगठनों ने इस पर चिंता जताई थी, जिसके बाद केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) ने कुछ कटौती की मांग की थी, जिससे फिल्म की रिलीज में देरी हुई। इमरजेंसी में कंगना रनौत ने न केवल मुख्य भूमिका निभाई है, बल्कि इसका निर्देशन भी किया है। यह फिल्म 1975 से 1977 तक के भारतीय आपातकाल की कहानी पर आधारित है, जिसे स्वतंत्र भारत का काला अध्याय माना जाता है।

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