
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सियासी माहौल गर्म हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पाला बदलने की अटकलों के बीच केंद्रीय मंत्री और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने बीजेपी और एनडीए के खिलाफ बयान दिया है। पहले जहानाबाद और फिर मुंगेर में मांझी ने सार्वजनिक मंच से अपनी नाराजगी जताई। यहां तक कि उन्होंने कैबिनेट छोड़ने की बात भी कही। हालांकि, बाद में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के प्रति अपनी निष्ठा जाहिर की और एनडीए के साथ चुनावी मैदान में उतरने की बात की।
मांझी ने कहा कि वह "मरते दम तक प्रधानमंत्री मोदी का साथ नहीं छोड़ेंगे" और उनका लक्ष्य देश और बिहार के हित में काम करना है। मुंगेर में उन्होंने अपनी पार्टी को झारखंड और दिल्ली में विधानसभा चुनावों में एक भी सीट न मिलने पर नाराजगी जताई। उन्होंने सवाल उठाया, "क्या हमारा कोई अस्तित्व नहीं है?" और कहा कि उन्हें वजूद के आधार पर सीटें दी जानी चाहिए। मांझी ने 40सीटों के लिए दावेदारी की और कहा कि यदि उनकी पार्टी इतनी सीटें जीतती है, तो वे अपनी नीति के अनुसार काम करेंगे।
राजनीतिक रणनीति या सच्ची नाराजगी?
मांझी के बयान में राजनीतिक रणनीति की झलक नजर आती है। उनकी पार्टी की सीटों की मांग को बिहार चुनाव से पहले एक दबाव रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। इसके अलावा, चिराग पासवान का बढ़ता प्रभाव भी मांझी के लिए चिंता का कारण बन सकता है। दोनों नेता दलित राजनीति के बड़े चेहरे हैं। पिछले लोकसभा चुनावों में मांझी की पार्टी को एक सीट मिली थी, जबकि चिराग की पार्टी को पांच सीटें मिली थीं।
बेटे को राजनीति में स्थापित करने की कोशिश
मांझी का एक और उद्देश्य अपने बेटे संतोष सुमन को बिहार की राजनीति में स्थापित करना है। वह दलित राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। इन बयानों को एक सियासी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, ताकि वह आगामी विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी को अधिक प्रभाव और सीटें दिला सकें।
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