जो किसी नहीं किया वो मजदूर के बेटे ने कर दिखाया, आजादी के 70 साल बाद इस गांव ने रचा इतिहास

जो किसी नहीं किया वो मजदूर के बेटे ने कर दिखाया, आजादी के 70 साल बाद इस गांव ने रचा इतिहास

Barabanki News: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के छोटे से गांव निजामपुर ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। आजादी के 78साल बाद इस गांव के 15साल के छात्र रामकेवल उर्फ रामसेवक ने पहली बार दसवीं की बोर्ड परीक्षा पास की है। यह उपलब्धि न केवल रामकेवल और उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे गांव के लिए एक प्रेरणा बन गई है।

निजामपुर गांव की ऐतिहासिक उपलब्धि

बता दें, निजामपुर गांव जो बाराबंकी के बनीकोडर ब्लॉक में रामसनेहीघाट तहसील के अंतर्गत अहमदपुर टोल प्लाजा के पास बसा है। इस गांव में करीब 30-40घर हैं। जिनकी आबादी करीब 200-300है। गांव के सभी निवासी दलित समुदाय से हैं। वहीं, यहां रह रहे परिवार मजदूरी, खेती जैसे कामों पर निर्भर हैं। लेकिन इसी गांव ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। एक ऐसी उपलब्धि जो कभी किसी ने सोची नहीं हो।

निजामपुर गांव शिक्षा के मामले में बेहद पिछड़ा माना जाता है। आजादी के बाद से यहां कोई भी छात्र हाईस्कूल की बोर्ड परीक्षा पास नहीं कर सका था। लेकिन इस बार गांव की ये तस्वीर बदल गई है। गांव की तस्वीर बदलने वाले का नाम रामकेवल है। जिसने अपनी कड़ी मेहनत से दसवीं की बोर्ड परीक्षा पास की है। आजादी के बाद ऐसा कमाल करने वाला अपने गांव का वह पहला छात्र बन चुका है।

रामकेवल ने रचा इतिहास

रामकेवल जिसे गांव में लोग रामसेवक बुलाते हैं। एक मजदूर परिवार से आता हैं। उनके पिता जगदीश दिहाड़ी मजदूरी करते हैं और मां पुष्पा गांव के स्कूल में रसोइया हैं। रामकेवल के परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि स्कूल की फीस और पढ़ाई का खर्च उठाना बहुत मुश्किल था। बावजूद इसके रामकेवल ने हार नहीं मानी।

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