Ravana In Kota: राजस्थान के कोटा में मंगलवार, 30 सितंबर को भारी बारिश हुई शहर में आयोजित कार्यक्रम में भी रुकावट देखने को मिली। लोग बारिश से बचने के लिए इधर-उधर सिर छुपाने की जगह तलाशने लगे। वहीं, इस दौरान दशहरा मैदान में खड़े रावण का कुछ नहीं बिगड़ा। क्योंकि इस रावण के पुतले को वाटरप्रूफ बनाया गया है और दशहरे पर 2 अक्टूबर को इसका दहन होगा। साथ ही इस रावन को दूनिया का सबसे बड़ा पुतला माना जा रहा है। आइए जानते हैं इसकी और क्या-क्या खासियत है?
4 महीने में बनक तैयार हुआ ये रावण
कोटा में दशहरा मैदान में 221 फीट का रावण खड़ा है। सोमवार, 29 सितंबर को इसे क्रेन की मदद से खड़ा किया गया। इससे बनाने में लगभग 4 महीने लगे और 44 लाख रुपये इसे बनाने में खर्च किया गया। साथ ही ये पूरी तरह से वाटरप्रूफ है। कहा ये जा रहा है कि इस रावण का नाम एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉड्र्स में दर्ज होगा। दिल्ली के पास अब तक 210 फीट का रिकॉर्ड है। साल 2019 में चंडीगढ़ में 221 फीट रावण का पुतला तैयार हुआ था, लेकिन खड़ा नहीं हो सका।
क्या है इस पुतले की खासियत?
इस पुतले को लाल, हरे और नीले रंग के कपड़ों से कवर किया गया है, जो बहुत ही आकर्षक नजर आ रहे हैं। रावण को इस बार भी दशानन स्वरूप में ही बनाया गया है। इसकी तलवार 50 फीट की है। 40 फीट की जूतियां पहनाई गई हैं। पुतले में रिमोट कंट्रोल के 25 पॉइंट फिट किए गए हैं। पुतले की विशालकाय लंबाई को देखते हुए इस बार मेला प्रशासन ने रावण दहन स्थल को विजयश्री रंगमंच से बदलकर मैदान के पूर्व दिशा में कर दिया। जहां कच्ची जमीन को देखते हुए दहन स्थल पर 26 गुणा 24 का आरसीसी का सॉलिड फाउंडेशन तैयार किया गया था। इसमें आठ स्टील की जैक वाली रोड लगाई गई।
कैसे दिया गया सपोर्ट
इस रावण के पुतले को आठ लोहे के रस्से से रावण को सपोर्ट दिया गया है। पेडस्टल पर फिश प्लेट को जॉइंट किया गया। इन पर 8 नट की चूड़ियों द्वारा रावण का पुतला खड़ा किया गया। पुतले को खड़ा करने में 220 टन और 100 टन की हाइड्रोलिक क्रेन काम में ली गई।
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