नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी समारोह के अवसर पर राष्ट्र के प्रति उसके योगदान को दर्शाने वाला एक विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया। स्मारक डाक टिकट और 100 रुपये का सिक्का जारी किया।इस दौरान उन्होंने एक जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कल हमारे पुराने स्वयंसेवक और संघ के हर मोड़ पर कहीं ना कहीं उनका स्थान रहा है, ऐसे विजय कुमार मल्होत्रा जी को हमने खो दिया है। मैं सबसे पहले उनको आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "ये हमारी पीढ़ी के स्वयंसेवकों का सौभाग्य है कि हमें संघ के शताब्दी वर्ष जैसा महान अवसर देखने को मिल रहा है। मैं आज इस अवसर पर राष्ट्र सेवा को समर्पित कोटि-कोटि स्वयंसेवकों को शुभकामनाएं देता हूं, अभिनंदन करता हूं। संघ के संस्थापक, हम सभी के आदर्श परम पूज्य डॉ. हेडगेवार जी के चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उन्होंने कहा कि "संघ की 100 वर्ष की इस गौरवमयी यात्रा की स्मृति में आज भारत सरकार ने विशेष डाक टिकट और स्मृति सिक्के जारी किए हैं। 100 रुपए के सिक्के पर एक ओर राष्ट्रीय चिन्ह है और दूसरी ओर सिंह के साथ वरद-मुद्रा में भारत माता की भव्य छवि है।
1963 में RSS के स्वयंसेवक भी 26 जनवरी की परेड में शामिल हुए थे- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "1963 में RSS के स्वयंसेवक भी 26 जनवरी की परेड में शामिल हुए थे। उन्होंने बहुत आन-बान-शान से राष्ट्रभक्ति की धुन पर कदमताल किया था। संघ के स्वयंसेवक जो अनवरत रूप से देश की सेवा में जुटे हैं, समाज को सशक्त कर रहे हैं। इसकी भी झलक इस डाक टिकट में है। मैं इन स्मृति सिक्कों और डाक टिकट के लिए देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जिस तरह विशाल नदियों के किनारे मानव सभ्यताएं पनपती हैं, उसी तरह संघ के किनारे भी और संघ की धारा में भी सैकड़ों जीवन पुष्पित, पल्लवित हुए हैं। अपने गठन के बाद से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विराट उद्देश्य लेकर चला। ये उद्देश्य रहा- राष्ट्र निर्माण।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "राष्ट्र निर्माण का महान उद्देश्य, व्यक्ति निर्माण का स्पष्ट पथ, शाखा जैसी सरल, जीवंत कार्यपद्धति। यही संघ की सौ वर्षों की यात्रा का आधार बने। संघ ने कितने ही बलिदान दिये। लेकिन भाव एक ही रहा -राष्ट्र प्रथम लक्ष्य एक ही रहा -'एक भारत, श्रेष्ठ भारत'।
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