Mahakumbh 2025: “महाकुंभ की समयसीमा बढ़ाई जाए”, अखिलेश यादव ने योगी सरकार से की मांग

Mahakumbh 2025: “महाकुंभ की समयसीमा बढ़ाई जाए”,  अखिलेश यादव ने योगी सरकार से की मांग

Akhilesh Yadav On Mahakumbh: प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ में अबतक 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने डुबकी लगा ली है। इसके बाद भी रोजना लोगों का हुजूम प्रयागराज पहुंच रहा है। तकरीबन 11 दिनों के बाद महाकुंभ 2025 का अंत हो जाएगा। ऐसे में सपा सांसद ने महाकुंभ के समयसीमा को बढ़ाने की मांग की है। अखिलेश यादव ने कहा कि अभी भी देश में बहुत से ऐसे लोग हैं जो महाकुंभ आना चाहते हैं लेकिन किसी कारण से नहीं आ पाए हैं। ऐसे में सरकार को महाकुंभ की समय बढ़ानी चाहिए। समयसीमा बढ़ाई गई तो इससे ऐसे लोगों को खासतौर पर फायदा होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि पहले महाकुंभ 75 दिनों का होता था। ऐसे में अगर इस बार भी अगर इसे 75 दिनों तक चलाया जाए तो और श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने प्रयागराज आ सकते हैं।

50 करोड़ लोग लगा चुके हैं डुबकी

महाकुंभ खत्म होने में महज 11 दिन बांकी है। माघ पूर्णिमा के माना जाता है कि श्रद्धालुओं की भीड़ कम होने लगती है। लेकिन इस साल के कुंभ का नजारा कुछ अलग ही दिख रहा है। लोग लगातार संगम में डुबकी लगाने प्रयागराज पहुंच रहे हैं। शुक्रवार तक 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने डुबकी लगा ली है। वहीं, प्रयागराज हवई अड्डे पर 650 से अधिक चार्टर्ड प्लेन उतरा है, जिसने रिकॉर्ड दर्ज कर दिया है। हालांकि, भारी भीड़ को देखते हुए महाकुंभ क्षेत्र को फिर से नो- व्हीकल जोन घोषित कर दिया गया है। प्रयागराज से जुड़े बॉर्डरों पर लोगों का आना अभी रुका नहीं है। बता दें, 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का महास्नान बटा हुआ है। उसके बाद महाकुंभ का आधिकारिक समापन हो जाएगा। हालांकि, कल्पवासी और अखाड़ों का जाना माघ पूर्णिमा के स्नान के बाद ही शुरु हो गया है।

सीएम ने दी जानकारी

सीएम योगी ने एक्स पर लिखा, ''भारत की आध्यात्मिकता, एकात्मता, समता और समरसता के जीवंत प्रतीक महाकुंभ, प्रयागराज में अब तक पावन त्रिवेणी में 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं।''उन्होंने आगे लिखा,''भारत की कुल जनसंख्या में 110 करोड़ नागरिक सनातन धर्मावलंबी हैं और उसमें से 50 करोड़ से अधिक नागरिकों द्वारा संगम में पवित्र स्नान उत्कृष्ट मानवीय मूल्यों की श्रेष्ठतम अभिव्यक्ति महान सनातन के प्रति दृढ़ होती आस्था का परिचायक है। वास्तविक अर्थों में भारत की लोक आस्था का यह अमृतकाल है।

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