तिब्बत में आए भूकंप में 53 लोगों ने गंवाई जान, नेपाल से बिहार-सिक्किम तक डोली धरती

तिब्बत में आए भूकंप में 53 लोगों ने गंवाई जान, नेपाल से बिहार-सिक्किम तक डोली धरती

Tibet Earthquake: नेपाल की सीमा से सटे तिब्बत के पहाड़ी क्षेत्र में आज मंगलवार सुबह 1 घंटे के अंदर 6 भूकंप के झटके महसूस किए गए है। जिसमें रिक्टर स्केल पर 7.1 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप भी शामिल था। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की मानें तो भूकंप के कारण तिब्बत में जानमाल का नुकसान हुआ है। इसी के साथ 53 लोगों की मौत की खबर भी सामने आई है।

मिली जानकारी के अनुसार, भूकंप ने तिब्बत के शिगात्से शहर में बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है। कई इमारतों समेत इंफ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है।

भूकंप से इमारतें भी ढही

चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी सिन्हुआ ने बताया कि शिजांग स्वायत्त क्षेत्र (तिब्बत के शिगात्से शहर) के डिंगरी काउंटी में 7.1 तीव्रता का भूकंप आया है। जिसमें 53 लोगों की मौत हुई है। जबकि 38 लोगों के घायल होने की खबर सामने आई हैं। चीनी मीडिया के अनुसार, भूकंप के केंद्र के पास कई इमारतें भी ढह गईं। तो वहीं, नेपाल की राजधानी काठमांडू में तेज झटके महसूस होने के बाद लोग अपने घरों से बाहर भाग गए। 

भारत में भी भूकंप के तेज झटके

तिब्बत के अलावा भारत, नेपाल, बांग्लादेश और भूटान के कई इलाकों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसके अलावा सिक्किम समेत पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों, बिहार और पश्चिम बंगाल समेत उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में आज मंगलवार सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए।  

7.1 तीव्रता का पहला भूकंप

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, 7.1 तीव्रता का पहला भूकंप स्थानीय समयानुसार सुबह 6:35 बजे नेपाल-तिब्बत सीमा के पास शिजांग में आया। बता दें, इतनी तीव्रता का भूकंप काफी शक्तिशाली माना जाता है और गंभीर क्षति पहुंचाने में सक्षम है। तो वहीं, चीनी अधिकारियों ने तिब्बत के दूसरे सबसे बड़े शिगात्से शहर में भूकंप की तीव्रता 6.8 दर्ज की।

उसी शिजांग क्षेत्र से 1 घंटे के अंदर भूकंप के 5 और झटके महसूस किए गए। जिनकी रिक्टर स्केल पर तीव्रता 4.7 और 4.9 मापी गई। मिली जानकारी के अनुसार, भूकंप का केंद्र वहां स्थित था जहां भारत और यूरेशिया की टेक्टोनिक प्लेटें टकराती हैं। इन्हीं टेक्टोनिक प्लेटों के टकराने से हिमालय का निर्माण हुआ है। इन प्लेटों की टक्कर से हिमालयन रेंज के पहाड़ों में इतना मजबूत उभार पैदा होता है कि दुनिया की कुछ सबसे ऊंची चोटियों की ऊंचाई बदल सकती है।  

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