
China News: चीन में कम्युनिस्ट सरकार ने सोशल मीडिया पर तमाम मुद्दों पर ज्ञान देने वालों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। 25 अक्टूबर 2025 को जारी नियमों के तहत अब वकील, मेडिसिन, डॉक्टर, फाइनेंशियल एडवाइजर या टीचर बनकर सलाह देने वाले इन्फ्लुएंसर्स को अपनी डिग्री या प्रोफेशनल लाइसेंस दिखाना होगा। इससे पहले कोई भी व्यक्ति सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाकर अपने विचारों को लोगों के साथ शेयर करते थे, जिसका कोई प्रमाण नहीं होता था और इन्ही चीजों पर रोक लगाने के लिए सरकार ने ये फैसला लिया है।
चीन में यह एप हैं फेमस
वहीं, कुछ विचारकों का मानना है कि इससे ऑनलाइन कंटेंट पर लगाम लग सकता है। चीन में WeChat सबसे लोकप्रिय सोशल मैसेजिंग साइट है और इसके 1.3 अरब यूजर्स हैं। इस एप में मैसेजिंग, पेमेंट, मिनी-ऐप्स, सोशल नेटवर्किंग सब कुछ मौजूद है। इसके अलावा चीन में टिक टॉक का चीनी वर्जन Douyin भी लोगों के बीच पसंद किया जाता है। इसे शॉर्ट वीडियो का किंग भी कहा जाता है और इसके 700 मिलियन यूजर्स हैं। चीन में माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म Weibo भी है, जो भारत के ट्विटर जैसा है और इसका इस्तेमाल 600 मिलियन से ज्यादा यूजर्स करते हैं।
क्या है सरकार के इस फैसले का उद्देश्य?
साइबर स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ चीन के अनुसार, रेगुलेशन का उद्देश्य गलत सूचनाओं पर अंकुश लगाना और जनता को झूठे या भ्रामक सलाह से बचाना है। अब चाइनीज ऐप्स की जिम्मेदारी होगी कि वे क्रिएटर्स की साख को सत्यापित करें और ये सुनिश्चित करें कि उनके पोस्ट में सही कंटेंट पर आधारित हो। साइबर स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ चाइना चीन की एक प्रमुख सरकारी एजेंसी है, जिसे आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय इंटरनेट सूचना कार्यालय कहा जाता है। ये 2011 में स्थापित हुई और केंद्रीय साइबर स्पेस मामलों आयोग के अधीन काम करती है। CAC को चीन का राष्ट्रीय इंटरनेट नियामक और सेंसर माना जाता है, जो इंटरनेट गतिविधियों पर केंद्रीकृत नियंत्रण सुनिश्चित करती है। CAC का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक स्थिरता और CCP नीतियों को इंटरनेट पर लागू करना है, जिससे ये चीन के डिजिटल स्पेस का सुपर-रेगुलेटर बन गया।
इन चीजों पर लगई गई रोक
वहीं, इन्फ्लुएंसर्स और क्रिएटर्स को अब स्पष्ट रूप से बताना होगा कि वे जो जानकारी शेयर कर रहे हैं, वह अध्ययनों का निष्कर्ष है। उन्हे ये भी बताना होगा कि कब उनके वीडियो में एआई-जनरेटेड कंटेंट का इस्तेमाल किया गया है। CAC ने एजुकेशन कंटेंट के नाम पर छिपे हुए प्रचारों को रोकने के लिए चिकित्सा उत्पादों, फूड सप्लीमेंट और स्वास्थ्यवर्धक फूड के विज्ञापनों पर भी रोक लगा दी गई है।
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