Budget 2024: अंतरिम बजट में क्या छाया रहेगा मिडिल क्लास या पूरी होगी किसानों की आस? जानें 2019 कैसा था हाल

Budget 2024: अंतरिम बजट में क्या छाया रहेगा मिडिल क्लास या पूरी होगी किसानों की आस? जानें 2019 कैसा था हाल

Budget 2024: आम चुनाव से पहले 1 फरवरी यानी आज पेश होने वाले अंतरिम बजट में मध्यम वर्ग और किसानों को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से काफी उम्मीदें हैं। उम्मीद है कि सरकार इस चुनावी बजट में दोनों के लिए कुछ न कुछ जरूर लाएगी।

आपको बता दें कि,वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पीएम नरेंद्र मोदी पहले ही कह चुके हैं कि इस बजट में कोई नीतिगत फैसला नहीं लिया जाएगा। फिर भी इतना तय है कि चुनाव को देखते हुए कुछ ऐसे फैसले लिए जा सकते हैं जिससे किसानों और मध्यम वर्ग को राहत मिल सकती है। आइए आपको भी बताते हैं कि देश के सबसे बड़े वोटर के तौर पर इन दोनों वर्गों से किस तरह की उम्मीदें हैं।

किसान से लेकर मध्यम वर्ग तक

पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग का मानना ​​था कि लोकसभा चुनाव से पहले पेश किया गया अंतरिम बजट सत्ता में मौजूद पार्टी के लिए मुफ्त सुविधाओं और लोकलुभावन योजनाओं के माध्यम से मतदाताओं को आकर्षित करने का एक अवसर है।उन्होंने कहा कि हमने 2019 में आम चुनाव से पहले पेश किए गए अंतरिम बजट में भी ऐसा होते देखा है। गर्ग ने कहा कि 2019 में आम चुनाव से पहले पेश किए गए अंतरिम बजट में सरकार ने मध्यम वर्ग, किसानों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को लक्षित किया था। कुल मिलाकर ये लगभग 75 करोड़ मतदाता हैं। संभावना है कि सरकार इस बार भी इन वोटरों का खास ख्याल रखेगी।

2019 में ऐसा दिखा था नजारा

साल 2019 में वित्त मंत्री की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाल रहे वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मध्यम वर्ग को आकर्षित करने के लिए 5 लाख रुपये तक की कर योग्य आय को आयकर में छूट दी थी। इसके अलावा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 12 करोड़ किसानों को 6,000 रुपये नकद देने की भी घोषणा की गई। इसके अलावा असंगठित क्षेत्र (पीएम श्रम योगी मानधन -एसवाईएम) से जुड़े 50 करोड़ श्रमिकों की सेवानिवृत्ति पेंशन में सरकार के योगदान का भी प्रस्ताव रखा गया।

इसे देखते हुए विभिन्न क्षेत्रों में यह संभावना जताई जा रही है कि इस अंतरिम बजट में भी ऐसी घोषणाएं की जा सकती हैं। आम तौर पर अंतरिम बजट में बड़ी नीतिगत घोषणाएं नहीं होती हैं, लेकिन सरकार पर ऐसे कदम उठाने से कोई रोक नहीं है जो अर्थव्यवस्था के सामने आने वाले मुद्दों से निपटने के लिए जरूरी हों।

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