
Political Heat Intensifies In Bihar: बिहार में अभी सियासी पारी हाई है। पारा हाई की वजह है बिहार में पाला बदलने वाली खबर ने सुर्खी पकड़ ली है। नीतीश कुमार की भाजपा से कथित नाराजगी मीडिया की चटपटी खबर आती रही है। वहीं, इंडिया गठबंधन अब भी इस उम्मीद में है कि नीतीश कुमार वापस विपक्षी खेमे में आ जाएंगे।
इधर एनडीए की ओर से दावा किया जा रहा है कि राजद के दर्जन भर से अधिक नेता एनडीए में शामिल पार्टियों के संपर्क कर चुके हैं। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी का दावा है कि राजद के दर्जन भर नेता उनके संपर्क में हैं।
क्या सच में नीतीश भाजपा से खफा हैं?
नीतीश कुमार के भाजपा से नाराज होने का अनुमान इस बात से लगाया जा रहा है कि वे मीडिया से बात नहीं हो रहे। जब-जब वे चुप्पी साधे रहते हैं। तब, बिहार में कोई सियासी खेल हो जाता है। अनुमान का दूसरा कारण यह बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार दिल्ली गए तो उन्होंने दिवंगत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के परिजनों से तो मुलाकात की, लेकिन भाजपा नेताओं से भेंट नहीं की। ऐसा तब हुआ, जब नीतीश कुमार के सहयोग से ही केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार चल रही है।
उन्होंने हफ्ते-दस दिन पहले अमित शाह द्वारा बुलाई बैठक में शामिल होने से भी परहेज किया, जबकि एनडीए सरकार में नीतीश कुमार की तरह ही भूमिका निभाने वाले आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू शामिल हुए थे। नाराजगी के अनुमान का तीसरा कारण दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रदेश इकाई द्वारा जदयू को सीटें देने से मना कर दिया है। जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने प्रेस कान्फ्रेंस कर दिल्ली में चुनाव लड़ने की दम भर दिया है।
राजद मौके की ताक में बैठी
राजद नेताओं ने नीतीश पर नजर डालनी शुरू कर दी है। बस उन्हें दिल्ली में खटहट होने का इंतजार है। बीच-बीच में वे संकेत भी देते रहे हैं कि जल्दी ही नीतीश राजद के साथ आ जाएंगे। हालांकि, राजद ने पहले भी नीतीश को अपदस्थ करने की कोशिश की है, पर तब कामयाबी नहीं मिली थी। सच कहें तो राजद पर उसका ही दांव उल्टा पड़ गया था। 12 फरवरी 2024 को विश्वासमत के दौरान नीतीश की सरकार को गिराने की तैयारी कर ली थी लेकिन, राजद के दो विधायक- नीलम देवी और चेतन आनंद ने ऐन मौके पर आरजेडी का साथ छोड़ दिया था।
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