हरियाणा का यह गांव धार्मिक आस्था के लिए है प्रसिद्ध, जानें क्या है इसकी मान्यता

हरियाणा का यह गांव धार्मिक आस्था के लिए है प्रसिद्ध, जानें क्या है इसकी मान्यता

भिवानी:  हरियाणा के भिवानी में दिल्ली-पिलानी रोड पर मात्र सात किलोमीटर दूरी पर एक देवसर नाम का गांव है। जहां यह गांव धार्मिक आस्था के हिसाब से तो प्रसिद्ध है। यहां का मुख्य धाम देवसर धाम पहाड़ी पर बना माता रानी का मंदिर देश विदेश में प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी गई मुराद मातारानी अवश्य ही पूरी करती हैं।

गांव के इतिहास की बात करें तो यह गांव सात सौ साल से ज्यादा पुराना गांव है। बताते हैं कि एक जमाने में यह इलाका बंजर हुआ करता था। एक बार बंजारा समूह यहां गाय चराते हुए पहुंच गया। रात को उन्होंने यहां ठहराव किया। सुबह अपनी गायों को ले जाने लगे तो गाय वहां से उठी नहीं। जब वह गाय उठाने के लिए प्रयास कर रहे थे तो अचानक आकाशवाणी हुई कि अरे मां दुर्गा को याद करो। मां तुम्हारी मदद करेगी।

यह आवाज सुन बंजारा समूह के लोगों ने वहीं से कंकड़ पत्थर एकत्रित किए और माता रानी छोटी सी मंदिर रूपी जगह बनाई और पूजा अर्चना की। जैसे ही पूजा-अर्चना की गाय एकाएक उठ गई। इसके बाद जब भी वे यहां आते माता रानी को याद जरूर करते। इसी तरह एक और किवदंती है कि यहां देवसर गांव बसा तो यहां ओछटिया खेड़ा होता था। किन्हीं कारणों से यह खेड़ा उजड़ गया। बड़े बुजुर्गों की माने तो एक दिन मातारानी की आकाशवाणी हुई। इस परिवार के लोग माता रानी की सेवा करेंगे तो यह खेड़ा फिर से आबाद हो जाएगा। मंदिर के बनने से लेकर आजतक ओछटिया परिवार मंदिर में सेवा कार्य कर रहा है। इसके अलावा देवसर धाम मंदिर और परिसर की देखभाल सेवा कार्य चैरिटेबल ट्रस्ट कर रहा है।

आज मां नव दुर्गा के छठे रूप मां कात्यायनी देवी की पूजा-अर्चना (Maa Katyayani Puja) हो रही है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कात्यायिनी मां का स्वरूप सुख और शांति प्रदान करने वाला है। देवी कात्यायनी की पूजा सुबह किसी भी समय कर सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी कात्यायनी की पूजा करने से मन की शक्ति मजबूत होते है और साधक इन्द्रियों को वश में कर सकता है। अविवाहितों को देवी की पूजा करने से अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, देवी कात्यायिनी ने ही राक्षस महिषासुर का मर्दन किया था।

मां कात्यायनी की पूजा करने के लिए सबसे पहले पूजा की चौकी पर साफ लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर मां कात्यायनी की मूर्ति रखें। गंगाजल से पूजाघर और घर के बाकी स्थानों को पवित्र करें। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ व्रत का संकल्प पढ़ें एवं सभी देवी-देवताओं को नमस्कार करते हुए षोडशोपचार पूजन करें। मां कात्यायनी को दूध, घी, दही और शहद से स्नान करवाएं। मां कात्यायनी को शहद अति प्रिय है। इसलिए पूजा में देवी को शुद्ध शहद अर्पित करें। इसके बाद पूरे भक्ति भाव से देवी का मंत्र पढ़ें। मन में जो मनोकामना हो उसे दोहराते हुए देवीसे आशीर्वाद मांगें।

शारदीय नवरात्रिमां दुर्गा की नौ शक्तियों की पूजा विधि-विधान से की जाती है। मां कात्यायनी मां दुर्गा की छठी शक्ति हैं। धार्मिक मान्यता है कि मां कात्यायनी की आराधना करने से भक्तों के समस्त प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं। मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं। मां के दाहिने ओर के एक हाथ अभयमुद्रा में और नीचे वाला वरमुद्रा में है। वहीं बाएं के ओर के हाथों में तलवार और पुष्प सुशोभित है। वे सिंह पर सवार हैं। उन्हें शक्ति, सफलता और प्रसिद्धि की देवी कहा जाता है। शत्रुओं पर विजय पाने के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा का विधान है।

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