ईरान-इजरायल युद्ध के बीच भारत सरकार ने उठाया बड़ा कदम, कच्चे तेल को लेकर बदली रणनीति

ईरान-इजरायल युद्ध के बीच भारत सरकार ने उठाया बड़ा कदम, कच्चे तेल को लेकर बदली रणनीति

India Oil Strategy: ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते सैन्य तनाव ने वैश्विक तेल आपूर्ति को खतरे में डाल दिया है। जिसका सीधा असर भारत के तेल आयात पर पड़ सकता है। इस संकट को देखते हुए भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक बदलाव किए हैं। सरकार ने तेल आयात के स्रोतों में विविधता लाने और रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (SPR) को मजबूत करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। 
 
रूस और अमेरिका से बढ़ा तेल आयात
पश्चिम एशिया में अस्थिरता के बीच भारत ने रूस और अमेरिका से कच्चे तेल का आयात बढ़ाया है। जून 2025 में रूस से तेल आयात में प्रमुख वृद्धि दर्ज की गई है। जो भारत की कुल तेल आवश्यकता का एक बड़ा हिस्सा पूरा कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि रूस से सस्ता तेल आयात करने की रणनीति ने भारत को होर्मुज जलडमरूमध्य जैसे जोखिम भरे मार्गों पर निर्भरता कम करने में मदद की है। इसके अलावा, अमेरिका से तेल आयात भी बढ़ा है। जिससे आपूर्ति में स्थिरता आई है।
 
रणनीतिक भंडार और वैकल्पिक मार्ग
भारत के पास वर्तमान में 5.33 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) कच्चे तेल का  भंडार है। जो विशाखापत्तनम, मंगलुरु और पादुर में स्थित है। सरकार ने 2021 में दो अतिरिक्त SPR स्थापित करने की मंजूरी दी थी। जिससे भंडारण क्षमता 6.5 MMT बढ़ेगी। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने दैनिक आधार पर वैश्विक तेल आपूर्ति की समीक्षा शुरू की है। इसके साथ ही भारत ने चाबहार बंदरगाह को वैकल्पिक व्यापारिक मार्ग के रूप में विकसित करने पर जोर दिया है। निर्यातकों ने सरकार को सुझाव दिया है कि ईरान का बंदर अब्बास बंदरगाह बंद होने की स्थिति में चाबहार पोर्ट का उपयोग बढ़ाया जाए।
 
व्यापार और महंगाई पर प्रभाव
ईरान-इजरायल युद्ध के कारण लाल सागर और होर्मुज जलडमरूमध्य जैसे प्रमुख व्यापारिक मार्ग बाधित हो सकते हैं। जिससे भारत के निर्यात और आयात पर असर पड़ रहा है। तेल की कीमतों में 6-8% की वृद्धि ने महंगाई की आशंका बढ़ा दी है। हालांकि सरकार ने कहा है कि पर्याप्त भंडार और वैकल्पिक स्रोतों के कारण पेट्रोल-डीजल की कमी नहीं होगी।

Leave a comment