Ambedkar Jayanti 2025: बचपन से भेदभाव का दर्द झेलकर बने भारतीय संविधान के निर्माता, बाबासाहेब ने हिंदू धर्म छोड़ क्यों चुना बौद्ध धर्म?

Ambedkar Jayanti 2025: बचपन से भेदभाव का दर्द झेलकर बने भारतीय संविधान के निर्माता, बाबासाहेब ने हिंदू धर्म छोड़ क्यों चुना बौद्ध धर्म?

Ambedkar Jayanti 2025: भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14अप्रैल, 1891को हुआ था। इसलिए हर साल इस दिन अंबेडकर जयंती मनाई जाती है। उन्हें बाबासाहेब अंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है। वह एक महान राजनीतिज्ञ, समाजशास्त्री और समाज सुधारक थे। यह दिन न सिर्फ बाबासाहेब के जीवन और संघर्षों की याद दिलाता है। बल्कि न्याय, सामाजिक समानता जैसे अधिकारों के लिए लड़ने की ताकत भी देता है।

बता दें, बाबासाहेब अंबेडकर जन्म से हिंदू थे। लेकिन मरने से पहले उन्होंने नागपुर में अपने अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया। इससे पहले उन्होंने सभी धर्मों के बारे में गहराई से अध्ययन किया था। 

बचपन से देखा सामाजिक भेदभाव

डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म एक दलित परिवार में हुआ था। यही वजह थी कि उन्हें बचपन से ही सामाजिक भेदभाव का सामने करना पड़ा। स्कूल में उन्हें अलग बैठाया जाता था। लेकिन उन्होंने बचपन से ही ढान लिया था कि वह इस सामाजिक भेदभाव की समस्या को जड़ से खत्म करके रहेंगे। उन्होंने इन सभी कठिनाइयों का सामना करते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखी।

बाबासाहेब का प्रारंभिक जीवन

डॉ. अंबेडकर ने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। जिसके बाद वह स्कॉलरशिप की मदद से अमेरिका चले गए। जहां उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से एम.ए. और पीएच.डी. की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने इंग्लैंड बैरिस्टर की पढ़ाई की। बाद में उन्होंने महसूस किया कि पढ़ाई का अधिकार हर किसी को नहीं मिलता।

इसलिए उन्होंने सामाजिक असमानता और भेदभाव को खत्म करने का फैसला किया। इस कदम में उन्होंने 'बहिष्कृत हितकारिणी सभा’ की स्थापना की। इस सभा का उद्देश्य था दलितों को शिक्षा और सामाजिक अधिकार दिलाना। 

भारतीय संविधान में बाबासाहेब की भूमिका

दलितों को शिक्षा और सामाजिक अधिकार दिलाने के साथ उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में अहम भूमिका निभाई है। भारत की आजादी के बाद बाबासाहेब को संविधान प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। संविधान निर्माण में उन्होंने सामाजिक न्याय, समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के सिद्धांतों को अहम बताया। उनके इन सिद्धांतों की वजह से देश एक मजबूत धागे से बंधा हुआ है। इसके साथ डॉ. अंबेडकर भारत के पहले कानून मंत्री भी बने।

क्यों अपनाया था बौद्ध धर्म?

बाबासाहेब जिस धर्म के अनुसार, कार्य करना चाहते थे, वे सभी अधिकार उन्हें बौद्ध धर्म में मिले। बाबासाहेब का मानना था कि बौद्ध धर्म, प्रज्ञा और करुणा प्रदान करता है। इसी के साथ समानता का संदेश भी देता है। बाबासाहेब एक ऐसे धर्म की चाह रखते थे, जिसमें धार्मिक और आध्यात्मिक मूल्यों के लिए जगह हो। जहां कोई भेदभाव ना किया जाए।

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