
Su-57 VS F-35: भारतीय वायुसेना (IAF) अपनी ताकत को और ज्यादा मजबूत करने के लिए कम-से-कम 03 स्क्वाड्रन (लगभग 54-72 विमान) पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट्स खरीदने की योजना बना रही है। इस दौड़ में दो प्रमुख दावेदार हैं: रूस का सुखोई Su-57E और अमेरिका का लॉकहीड मार्टिन F-35 लाइटनिंग II। रूस ने Su-57E के साथ पूर्ण तकनीकी हस्तांतरण और भारत में उत्पादन की पेशकश की है। जबकि अमेरिका F-35 के साथ उन्नत स्टील्थ और नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध क्षमताओं का वादा कर रहा है।
रूस का Su-57E
मालूम हो कि रूस भारत का लंबे समय से विश्वसनीय रक्षा साझेदार है। जिसने सुखोई Su-57E की पेशकश की है, जो इसका निर्यात संस्करण है। यह ट्विन-इंजन, मल्टीरोल स्टील्थ फाइटर जेट 2010 में पहली बार उड़ा और 2020 में रूसी वायुसेना में शामिल हुआ। Su-57E की प्रमुख विशेषताओं में मच 2 की अधिकतम गति, 1,500 किलोमीटर की युद्धक रेंज, और 10 टन तक का हथियार वहन करने की क्षमता शामिल है। यह हाइपरसोनिक मिसाइलों और ड्रोन नियंत्रण क्षमता (जैसे S-70 ओखोटनिक) के साथ संगत है, जो इसे नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध के लिए उपयुक्त बनाता है।
रूस ने इस डील को आकर्षक बनाने के लिए कई रियायतें दी हैं। रोसोबोरोन एक्सपोर्ट और यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन (UAC) ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के नासिक संयंत्र में Su-57E के स्थानीय उत्पादन की पेशकश की है, जहां पहले से ही Su-30MKI का निर्माण होता है। इसके साथ ही, पूर्ण स्रोत कोड और 40-60% स्थानीयकरण की पेशकश की गई है, जिससे भारत स्वदेशी हथियार जैसे अस्त्र मिसाइल, रुद्रम एंटी-रेडिएशन मिसाइल, और विरुपक्ष AESA रडार को एकीकृत कर सकता है। रूस ने यह भी वादा किया है कि वह AMCA कार्यक्रम में तकनीकी सहायता प्रदान करेगा।
अमेरिका का F-35
दूसरी ओर, अमेरिका ने लॉकहीड मार्टिन F-35 लाइटनिंग II की पेशकश की है। जो दुनिया का सबसे उन्नत स्टील्थ फाइटर माना जाता है। F-35 अपनी उन्नत सेंसर प्रणाली, AI-आधारित युद्ध प्रणालियों, और नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध क्षमताओं के लिए जाना जाता है। यह जेट स्टील्थ में उत्कृष्ट है और ड्रोन, मिसाइल रक्षा प्रणालियों, और अन्य परिसंपत्तियों के साथ समन्वय कर सकता है। F-35C का नौसैनिक संस्करण भारतीय नौसेना के लिए उपयुक्त हो सकता है, हालांकि भारत के पास वर्तमान में इसके लिए उपयुक्त विमानवाहक पोत नहीं है
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात के दौरान F-35 की बिक्री का रास्ता साफ करने की बात कही थी। हालांकि, इस डील की उच्च लागत (लगभग 8 करोड़ डॉलर प्रति जेट) और जटिल आपूर्ति श्रृंखला, जो अमेरिकी नियंत्रण में है, भारत के लिए चुनौती हो सकती है। इसके अलावा अमेरिका ने तकनीकी हस्तांतरण या सह-उत्पादन की पेशकश नहीं की है, जो भारत की "मेक इन इंडिया" पहल के अनुरूप नहीं है। F-35 की उपलब्धता दर (लगभग 51% अमेरिकी वायुसेना के लिए) और रखरखाव की उच्च लागत भी चिंता का विषय है।
Leave a comment