अफगानिस्तान में क्या हैं लैंगिक कानून, भूकंप आया तो सिर्फ पुरुषों को बचाया महिलाओं को क्यों नहीं?

अफगानिस्तान में क्या हैं लैंगिक कानून, भूकंप आया तो सिर्फ पुरुषों को बचाया महिलाओं को क्यों नहीं?

Afghanistan Earthquake: अफगानिस्तान का कानून है कि भूकंप के दौरान यहां पुरुषों और बच्चों को बचाया जाता है, लेकिन महिलाओं और बच्चियों को मलबे में दबकर मरने को छोड़ दिया जाता है। तालिबान के इस नियम के कारण अफगान महिलाएं भूकंप के मलबे में दब कर मर गईं। हाल ही अफगानिस्तान में भूकंप आया था इसके कारण यहां 2,200 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। लेकिन असली त्रासदी सिर्फ मलबे तक सीमित नहीं रही, बल्कि तालिबान का सख्त लैंगिक कानून भी बड़ी रुकावट बन गया।

क्या है ये कानून?

बता दें कि भूकंप के बाद जब लोग मलबे से निकालने लगे, तो पुरुषों और बच्चों को पहले बचा लिया गया, लेकिन महिलाएं और बच्चियां फंसी रह गईं। इसकी वजह थी तालिबान का नियम जिसमें कहा गया कि अजनबी पुरुष किसी महिला को छू नहीं सकते, यानी अगर वहां महिला बचावकर्मी मौजूद न हों, तो किसी घायल महिला को मलबे से बाहर निकालना तक मुश्किल हो जाता है। तालिबान के कानून के हिसाब से अजनबी पुरुष अगर किसी महिला को छुएगा तो उसे सजा मिल सकती है।

महिलाओं की मदद करने से डरते हैं पुरुष

कई बार ऐसा हुआ कि महिलाओं को जिंदा छोड़ दिया गया और मृतकों को पहले बाहर निकाला गया। ये दिखाता है कि अफगानिस्तान में सिर्फ मलबा ही नहीं, बल्कि समाज के नियम भी बचाव कार्य रोक रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक महिला बीबी आयशा ने बताया कि भूकंप के बाद उन्हें और अन्य महिलाओं को एक कोने में बैठा दिया गया और घंटों तक किसी ने उनकी सुध तक नहीं ली। वो खून से लथपथ थीं, लेकिन किसी ने छुआ तक नहीं। एक स्थानीय स्वयंसेवक ने भी माना कि पुरुष बचावकर्मी महिलाओं को निकालने से डरते थे, क्योंकि तालिबान के कानून के खिलाफ जाने पर उन्हें सजा मिल सकती थी। 

Leave a comment