रितेश ने एक विलेन, को बनाया देखने लायक

रितेश ने एक विलेन, को बनाया देखने लायक

नई दिल्ली: मोहित सूरी की फिल्म एक विलेन, में पांच मिनट के अंदर ही फिल्म का अहम किरदार मारा जाता है। मानना पड़ेगा, दर्शकों का ध्यान बनाए रखने का ये आइडिया अच्छा है। बाकी की फिल्म फ्लेशबैक में एक खूबसूरत लव स्टोरी और एक बदले के मिशन में बंधकर रह जाती है।

गुरु यानी सिद्धार्थ मल्होत्रा एक गरम दिमाग का गैंगेस्टर है, जो गोवा के एक डॉन के ऑर्डर पर लोगों को बेरहमी से हत्या करता है। उसकी दिल पिघलता है, जब आइशा यानी श्रद्धा कपूर एक बातूनी और खुशमिजाज लड़की, गुरु का दिल जीत लेती है। वहीं दूसरी तरफ रितेश देशमुख, राकेश के किरदार में हैं, जो एक लोअर-मिडल क्लास एमटीएनएल इम्प्लोई है और जो अपनी चिड़चिड़ी बीवी की फ्रस्ट्रेशन उन औरतों पर निकालता है, जो उससे झगड़ा मोल लेने की गलती कर बैठती हैं। जाहिर तौर पर ये दोनों टकराती हैं, जिसके बाद बदले की कहानी की शुरुआत होती है।

मोहित सूरी, जो एक ऐसे मंझे हुए डायरेक्टर है जिन्हें विदेशी फिल्मों को रोमांटिक सबप्लोट और सुपरहिट साउंडट्रेक के साथ इंडियन टच देना खूब आता है, वो यहां भी वही फॉर्मूला लागू करते हैं। यहां उनकी शिकार बनी है कोरियाई रिवेंज सागा, आई सो द डेविल। सूरी अपने

राइटर्स के साथ मिलकर, वायलेंस को थोड़ा टोन डाउन कर देते हैं, एक लव स्टोरी डालते हैं और सायकोटिक सीरियल किलर को उसके पागलपन की वजह देते हैं। ये सब बहुत ही फिल्मी है, साथ ही कुछ ऐसी फालतू लाइनें जो आपको हैरान कर देंगी।

यहां जो काबिले तारिफ है वो ये कि सूरी इस स्क्रिप्ट की कमियों के बावजूद इस फिल्म को देखने लायक बनाते हैं, फिर भले ही वो पूरी तरह से आपको सेटिस्फाई नहीं करेगी। फिल्म के प्लॉट में लॉजिक की कमी है, और देखा जाए तो विलेन और बदला लेने वाले के चूहे बिल्ली के इस खेल में कोई सस्पेंश भी नहीं है। फिर भी जहां कहीं भी फिल्म का थ्रिलर एलिमेंट फेल होता है, उसकी कमी को पूरा करता है इसका रोमांटिक ट्रैक।

फिल्म में श्रद्धा कपूर की इतनी शानदार प्रजेंस है, कि जब-जब वो स्क्रिन पर आती हैं, आप अपनी नजर हटा नहीं पाएंगे। हालांकि लगातार उनकी चपड़-चपड़ सुनकर आप अपने कान जरूर बंद करना चाहेंगे। सिद्धार्थ मल्होत्रा के साथ उनकी केमिस्ट्री अच्छी है, जो एक शांत गुस्से से भरे आदमी के किरदार में अच्छा काम करते हैं और उन्हें अपनी इंटेंसिटी दिखाने के भी कुछ अच्छे मूमेंट्स मिले हैं। पर सबसे सरप्राइजिंग हैं रितेश देशमुख, जो अपनी बीवी से सताया आदमी और एक पत्थर दिल किलर, दोनों के तौर पर लाजवाब अभिनय देते हैं।

अफसोस, इतने सारे शानदार अभिनय और सूरी के अच्छे खासे डायरेक्टिंग स्किल्स के बावजूद भी ये फिल्म आखिर आधी सेटिस्फाइंग है। मैं एक विलेन को पांच में से ढाई स्टार देता हूं। अगर आप भी सोच रहे हैं, तो यहां असली विलेन फिल्म की कमजोर स्क्रिप्ट है।

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