
नई दिल्ली : लंबे उतार-चढ़ाव के बाद आखिरकार शु्क्रवार को भारत और फ्रांस के बीच राफेल फायटर प्लेन्स के लिए डील साइन हो गई। इसके बाद फ्रांस भारत को 2019 तक 36 राफेल फायटर प्लेन बेचेगा। उन्नत तकनीक से बना यह युद्ध की स्थिति में राफेल दुश्मनों पर कहर बनकर टूटता है।
दुश्मनों पर कहर है राफेल विमान
राफेल एक फ्रेंच शब्द है जिसका मतलब होता है तूफान। राफेल 2 इंजन वाला मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट है। आसमान से दुश्मनों के छक्के छुड़ा देने वाला राफेल एक बहुउपयोगी लड़ाकू विमान है।
डासॉल्ट एविएशन ऑफसेट कंपनी अक्टूबर 2014 तक 133 विमानों का निर्माण कर चुकी है। इस प्रोजेक्ट की लागत 62.7 बिलियन है। एक विमान की लागत 70 मिलियन आती है। इसकी लंबाई 15.27 मीटर है और इसमें एक या दो पायलट बैठ सकते हैं।
भारत-फ्रांस के बीच हुई राफेल डील, 2019 तक मिलेंगे 36 विमान
राफेल ऊंचे इलाकों में लड़ने में माहिर है। राफेल एक मिनट में 60 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता है। हालांकि अधिकतम भार उठाकर इसके उड़ने की क्षमता 24500 किलोग्राम है। विमान में ईंधन क्षमता 4700 किलोग्राम है। इसके अलावा हवा में भी ईंधन भरा जा सकता है और लगातार दस घंटे कर उड़ान भर सकता है।
राफेल की अधिकतम रफ्तार 2200 से 2500 तक किमी प्रतिघंटा है और इसकी रेंज 3700 किलोमीटर है। इसमें 1.30 mm की एक गन लगी होती है जो एक बार में 125 राउंड गोलियां निकाल सकती है। इसका खुद का राडार सिस्टम है जो दुश्मन के हमले को भांप कर तुरंत इसका जवाब देता है।
इसके अलावा इसमें घातक एमबीडीए एमआईसीए, एमबीडीए मेटेओर, एमबीडीए अपाचे, स्टोर्म शैडो एससीएएलपी मिसाइलें लगी रहती हैं। इसमें थाले आरबीई-2 रडार और थाले स्पेक्ट्रा वारफेयर सिस्टम लगा होता है। साथ ही इसमें ऑप्ट्रॉनिक सेक्योर फ्रंटल इंफ्रा-रेड सर्च और ट्रैक सिस्टम भी लगा है।
राफेल विमान का इतिहास
राफेल विमान फ्रांस की डासॉल्ट एविएशन ऑफसेट कंपनी द्वारा बनाया गया 2 इंजन वाला लड़ाकू विमान है। 1970 में फ्रांसीसी सेना ने अपने पुराने पड़ चुके लड़ाकू विमानों को बदलने की मांग की। जिसके बाद फ्रांस ने 4 यूरोपीय देशों के साथ मिलकर एक बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान की परियोजना पर काम शुरू किया। बाद में साथी देशों से मतभेद होने के बाद फ्रांस ने इस पर अकेले ही काम शुरू कर दिया।
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