1857 Swatantra Sangram: इस ऐतिहासिक गांव की चिंगारी ने 1857 स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी, जानिए पूरा इतिहास

1857 Swatantra Sangram: इस ऐतिहासिक गांव की चिंगारी ने 1857 स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी, जानिए पूरा इतिहास

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पाली जिले का ऐतिहासिक गांव है आऊवा

1857की अमर स्वतंत्रता संग्राम की याद दिलाता आऊवा

आजादी का बिगुल  इसी गांव से बजा था सबसे पहले

पाली: वीरों की धरती राजस्थान के पाली जिले के मारवाड जंक्शन उपखंड का एक गांव ऐतिहासिक है. यह गांव आऊवा समूचे जिले का गौरव कहलाता है.आजादी का बिगुल सर्वप्रथम इसी गांव पर बजा था.इसी गांव के ठाकुर खुशाल सिंह और आसपास के जागीरदारों ने मिलकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग लड़ी थी और अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार करना स्वीकार नहीं किया था. वैसे राजस्थान की धरती को वीरों की धरती कहा जाता है. यहां पर एक से बढ़कर वीर पैदा हुए. जिनका इतिहास आज भी गवाह है.

वहीं, आऊवा गांव के ठाकुर कुशाल सिंह के नेतृत्व में दो बार भीषण युद्ध हुआ. जिसमें अंग्रेजी सेना को हार माननी पड़ी अंग्रेजी सैनिक  की हार के बाद अंग्रेजी सेनापति लॉरेंस का सर काटकर किले के दरवाजे पर लटका दिया गया था. स्वतंत्रता संग्राम का अग्रणी यह गांव आज भी देशभर में प्रसिद्ध है. राज्य और केंद्र सरकार द्वारा यहां विशाल पेनोरमा का निर्माण करवाया गया है.

अरबों रुपए की लागत से पुरातत्व विभाग के तत्वाधान में तत्कालीन राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में इस विशाल पेनोरमा का निर्माण करवाया गया जहां पर ठाकुर कुशाल सिंह की प्रतिमा एवं सभी स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले अमर सेनानियों के सचित्र उल्लेख देखने को मिलते हैं. हर वर्ष 15अगस्त और 26जनवरी राष्ट्रीय पर्व पर यहां तिरंगा फहराया जाता है और देशभक्ति गीतों से गांव में एक सुंदर सा माहोल बनता है.

आपको बता दे कि, आऊवा गीतों में भी गाया जाता है. समूचे पाली जिले की यह वीर भूमि राजस्थान में विख्यात है मारवाड़ जंक्शन से 12किलोमीटर दूर यह गांव क्रांतिकारी और ऐतिहासिक है. जहां सर्वप्रथम आजादी की सुगंध इसी गांव से मिली थी और यहां के वीर कुशाल सिंह द्वारा अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ बगावत कर आजादी की जंग लड़ी थी.

 

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