कीमतें कम होने के बावजूद नहीं बिक रहे मकान

कीमतें कम होने के बावजूद नहीं बिक रहे मकान

नई दिल्ली। देश के विभिन्न शहरों में बिना बिके आवासीय और वाणिज्यिक परिसरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जिनमें से सबसे ज्यादा संख्या दिल्लीी और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में है। वाणिज्य एवं उद्योग मंडल ऐसोचैम द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक आवासीय परिसरों में सबसे ज्यादा बिना बिके मकान दिल्ली एनसीआर (ढाई लाख) में है। इसके बाद मुंबई (1 लाख), बेंगलुरु (66 हजार), चेन्नई (60 हजार) और पुणे (55 हजार) का नंबर आता है। रियल एस्टेट क्षेत्र में कमजोरी के चलते श्रम बाजार पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है। निर्माण क्षेत्र में एक करोड़ से लेकर 1.20 करोड़ श्रमिक लगे हैं। रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल के मुकाबले इस साल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में नई आवासीय परियोजनाओं की शुरुआत में 30 से 35 फीसदी कमी आई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बिना बिके मकान और दुकानों की संख्या पिछले कुछ समय में 18-40 फीसदी बढ़ी है।

अध्ययन के मुताबिक मकान एवं दुकानों के दाम तथा ब्याज दर घटने के बावजूद फ्लैट की मांग में 25-30 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि पिछले साल दिल्लीक-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वाणिज्यिक क्षेत्र की मांग 35-40 फीसदी घटी। एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में करीब ढाई लाख मकान खाली पड़े हैं। यह संख्या निर्माणाधीन मकानों की कुल संख्या का करीब 35 फीसदी है। इन मकानों में नियामकीय मंजूरी और विवाद की वजह से देरी हो रही है। पिछले कुछ समय में मकानों की कीमतें नोएडा में 35 फीसदी, गुड़गांव में 30 फीसदी और दिल्ली के कुछ प्रमुख इलाकों में 25 फीसदी तक कम हुई हैं इसके बावजूद मकान बिक नहीं रहे।

 

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