
देशभर में दाल की कीमतें आसमान छू रही हैं। महाराष्ट्र के भी यही हाल हैं। हालांकि राज्यव सरकार के पास 7500 मीट्रिक टन दाल का स्टॉाक है, जो गोदामों में कैद है। अगर मानसून आने से पहले इसका वितरण नहीं किया गया तो इस पर पानी भी फिर सकता है। लातूर, अकोला, जलगांव, उदगिर और यवतमाल के गोदामों में सबसे ज्यापदा दाल स्टॉक की गई है। डर इस बात का है कि पिछले साल ही तरह इस साल भी यह दाल जमाखोरों के हाथ न चढ़ जाए। पिछले वर्ष महाराष्ट्र सहित देश के 13 राज्यों में 74,846 टन दाल को कालाबाजारी करने वालों तथा जमाखोरों के पास से जब्तइ किया गया था।
इसकी वजह यह थी कि राज्य् सरकार तय समय के भीतर दाल मिलों तक यह स्टॉाक नहीं पहुंचा सकी थी। 21 अप्रैल को महाराष्ट्र दाल में दालों की कीमत की मॉनिटरिंग करने वाली समिति की बैठक हुई जिसमें सभी सदस्यों ने सरकार को सुझाव दिया, कि जल्दी से जल्दक दाल के स्टॉक को बाजार में पहुंचाने की व्योवस्था करनी चाहिए। चिंताजनक बात यह है कि अब तक राज्य सरकार ने इस बारे में कोई भी योजना नहीं बनाई है। वहीं गोदामों में 7,367.5 मीट्रिक टन तुअर, उड़द और चना मौजूद है, जिसे दाल मिलों तक पहुंचाना है। सरकार ने अभी तक दाल मिलों से इस बारे में न तो कोई बात की है और न ही कीमत पर कोई अनुबंध हुआ है।
राज्यई सरकार इस दाल स्टॉरक को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबों को भी नहीं देना चाहती है। इससे इस बात की शंका बढ़ गई है कि कहीं पिछले साल की ही तरह साल भी दाल की जमाखोरी न हो जाए। 2015 में जमाखोरों से जब्तल की गई कुल 74,846 टन दाल में से 46,397 टन दाल केवल महाराष्ट्रक के कालाबाजारियों के पास मिली थी। पिछले महीने अप्रैल में महाराष्ट्रन में तुअर दाल की कीमत 150 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई थी। इसके बाद मुख्य मंत्री देवेंद्र फणनवीस ने आनन-फानन में राज्यप में दालों की अधिकतम कीमत तय करने के आदेश जारी किए हैं।
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