कोयले से बनेगा तरल ईंधन

कोयले से बनेगा तरल ईंधन

धनबाद के सिंफर की कोयले से तेल बनाने की स्वदेशी तकनीक और प्लांट शुक्रवार को देश को समर्पित की गई। सिंफर डिगवाडीह में भारत के पहले कोल टू लिक्विड पायलट प्लांट (कोयला से तरल ईंधन प्रायोगिक संयंत्र) का उद्घाटन प्रौद्योगिकी अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. गिरीश साहनी ने किया। दूसरे विश्व युद्ध में जर्मनी ने तकनीक का इस्तेमाल कर कोयला से तरल ईंधन पेट्रोल बनाया था। वर्तमान में दक्षिण अफ्रीका में प्रतिदिन 40 हजार बैरल कच्चा तेल कोयले से बनाया जाता है।

डॉ. गिरीश साहनी ने बताया कि एक टन कोयला से एक बैरल कच्चे तेल का उत्पादन होगा। इसे केन्द्रक सरकार को सौंपा जाएगा। इसके बाद सरकार तय करेगी  कि बड़ा प्लांट लगे या नहीं। यह प्लांट 6.14 करोड़ और प्रोजेक्ट 7.6 करोड़ का है। इस प्रोजेक्ट के संबंध में प्रधानमंत्री, पेट्रोलियम मंत्रालय को विस्तार से जानकारी दी जाएगी। साथ ही यहां पर पूंजी लगाने की अपील भी की जाएगी ।  

सिंफर डिगवाडीह में कोयले से तरह ईंधन कैसे बनेगा। कोल टू लिक्विड प्रोजेक्ट हेड, सिंफर सुदीप्त मोहंती ने बताया कि कोयला को 800 से 1200 सेंटीग्रेड तापमान पर गर्म कर गैस में तब्दील किया जाएगा। गैस को ठंडा कर जो तरल पदार्थ तैयार होगा। वही कच्चा तेल होगा। उसी से पेट्रोल डीजल, किरासन निकाला जाएगा।

 

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