
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक नीति में ढील दिए जाने के बाद भी ब्याज दर कम करके उसका लाभ न पहुंचाने के कारण बैंकों की आलोचना हो रही है। इस बीच आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने जोर दिया है कि भारत कम ब्याज दर व्यवस्था की ओर अग्रसर हो रहा है। उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिन में बैंक ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं। दास ने यह भी कहा कि सरकार सार्वजनिक निजी हिस्सेदारी परियोजनाओं व सार्वजनिक उपभोग के ठेकों में विवाद निपटारा के लिए आगामी संसद सत्र में विधेयक पेश कर सकती है। यहां एक कार्यक्रम के मौके पर दास ने अलग से बातचीत में कहा, बैंक स्वायत्त हैं और सरकार ने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को 3.5 प्रतिशत पर कायम रख और लघु बचत की ब्याज दरों को नए सिरे से तय कर काफी मजबूत संकेत दिया है। रिजर्व बैंक ने नीतिगत दर 0.25 प्रतिशत घटाई है। उम्मीद है कि बैंक इस पर कदम उठाएंगे। मुझे भरोसा है कि वे अगले कुछ सप्ताह में यह करेंगे।
रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने चालू वित्त वर्ष की केंद्रीय बैंक की पहली द्विमासिक नीतिगत समीक्षा में 5 अप्रैल को नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की कमी कर दी थी, जो पिछले करीब 5 साल की तुलना में न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। साथ ही धन की आपूर्ति आसान करने के लिए कदम उठाए गए, जिससे बैंकों को कर्ज देने में आसानी हो। दास ने कहा कि अब उम्मीद की जानी चाहिए कि बैंक प्रभावी तरीके से दरों में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को देंगे। उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत पहले ही हो चुकी है। कोष की सीमान्त लागत आधारित दर को अपनाया गया है। इससे ब्याज दरों में मामूली कमी आई है।
उन्होंने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि बैंक प्रभावी तरीके से दरों में कटौती को उपभोक्ताओं की ओर स्थानांतरित करेंगे। मैं उम्मीद करता हूं कि बैंक इस दिशा में कदम उठाएंगे। उन्होंने कहा कि हम न्यूनतम ब्याज दरों की ओर बढ़ रहे हैं। महंगाई नियंत्रण में है और सरकार जो भी कदम उठा सकती है, वे उठाए गए हैं। वित्त मंत्री ने बहुत कड़ा संदेश दिया है कि भारत को कम ब्याज दरों के दौर में जाना चाहिए। प्रस्तावित सार्वजनिक उपभोग (विवादों का समाधान) विधेयक पर दास ने कहा- इसका मसौदा तैयार है, हमारी कोशिश है कि इसे बजट सत्र में पेश किया जाए, लेकिन अगर ऐसा नहींं हो पाता तो इसे मॉनसून सत्र में पेश किया जाएगा।
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