HDFC को लगा जुर्माना

HDFC को लगा जुर्माना

एचडीएफसी ने 10 दिन तक चंडीगढ़ के दंपति का डेबिट कार्ड चालू नहीं किया। मामले में शीर्ष उपभोक्ता अदालत ने बैंक को दोषी करार दिया। मामले में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि उसके मन में भारत के प्रति कोई प्यार और सम्मान नहीं है क्योंकि उसने विदेश में फंसे एक दंपति के डेबिट कार्ड को चालू नहीं कर देश की साख को खतरे में डाला। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) ने बैंक पर यह टिप्पणी करते हुए उसे संबद्ध दंपति को 5 लाख रुपये जुर्माना देने का निर्देश दिया। बैंक की ओर से उनके कार्ड को चालू नहीं करने के कारण वे साल 2008 में 10 दिनों के लिए थाइलैंड और सिंगापुर में फंस गए थे।

उपभोक्ता अदालत ने कहा कि बैंक का भारत के प्रति कोई प्यार और सम्मान नहीं है। देश की साख खतरे में थी। इस बात को जानते हुए कि भारतीय दूसरे देश में फंसे हैं, प्रबंधक का यह कर्तव्य था कि वह तत्काल कदम उठाते, उन्होंने 10 दिनों तक कोई कदम नहीं उठाकर बड़ी गलती की। यह बैंक की तरफ से लापरवाही और निष्क्रियता को दर्शाता है। न्यायमूर्ति जे एम मलिक ने कहा कि विदेशी हमेशा प्रक्रिया संबंधी देरी की शिकायत करते हैं, वे इस देश के साथ व्यापारिक संबंधों नहीं चाहते हैं। बैंक का ढीला रवैया आश्चर्यचकित करने वाला है। शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने चंडीगढ़ निवासी वरिष्ठ अधिवक्ता मोहिंदरजीत सिंह सेठी तथा उनकी पत्नी राजमोहिनी सेठी के लिए मुआवजा 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया। दंपति ने राज्य उपभोक्ता आयोग के आदेश के खिलाफ एनसीडीआरसी में आवेदन दिया था।

राज्य उपभोक्ता आयोग ने मुआवजा राशि 50,000 रुपये से बढ़ाने से मना कर दिया था। याचिका में मुआवजा राशि 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का अनुरोध किया गया था। अपने आदेश मे शीर्ष उपभोक्ता अदालत ने कहा कि बैंक शाखा प्रबंधक राजिंदर पठेजा के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है और मुआवजे की राशि में से कम से कम 50 हजार रुपये उनके वेतन से काट सकता है।

 

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