
भारतीय चीनी मिलों ने इस हफ्ते निर्यात करार किए हैं। लगभग दो महीनों में ऐसा पहली बार हुआ है। प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र द्वारा इसे प्रोत्साहन दिए जाने और चीनी के वैश्विक दामों के संभलने से विदेशी बिक्री ने जोर पकड़ा है। दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देश भारत द्वारा निर्यात में तेजी से विश्व में चीनी के दामों पर लगाम लग सकती है। शीर्ष आपूर्तिकर्ता ब्राजील से कम आपूर्ति के डर के बीच गुरुवार को इसके दाम एक महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए थे। महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज फेडरेशन के प्रबंध निदेशक संजीव बाबर ने कहा कि इस साल स्थानीय कीमतों के अप्रतिस्पर्धी होने की वजह से पहले नदारद रहे भारतीय चीनी निर्यात समझौते अपने कोटे का निर्यात करने वाली मिलों के गन्ना खरीद कर में छूट संबंधी महाराष्ट्र सरकार के निर्णय के बाद से अब धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं।
महाराष्ट्र ने पिछले हफ्ते ही कहा था कि 31 सितंबर को खत्म होने वाले वर्ष में अपनी उपज के 12 प्रतिशत का निर्यात करने वाली मिलों के लिए वह गन्ना खरीद के तीन प्रतिशत कर में छूट देगा। बाबर का कहना है कि वैश्विक कीमतों में उछाल के साथ ही राज्य का यह निर्णय मिलों को निर्यात के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। व्यापारियों के अनुसार, मिलों ने इस हफ्ते म्यांमार से करीब 411 डॉलर प्रति टन पर 7,000 टन सफेद चीनी निर्यात के फ्री ऑन बोर्ड समझौते किए है। वैश्विक व्यापार फर्म के मुंबई के एक व्यापारी ने कहा, मिलों ने हमारे पास आना शुरू कर दिया है। इससे पहले हम उनके पास जा रहे थे, लेकिन निर्यात में उनकी रुचि नहीं थी। इस व्यापारी ने कहा कि निर्यात बाजार को आकर्षित करने के लिए आईसीई लंदन के वायदा में भारतीय मिलों की पेशकश में प्रति टन 10 डॉलर की छूट होनी चाहिए।
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