'चुनौतियां गंभीर हैं, अब कार्रवाई का समय...', UN चीफ ने G20 देशों को चेताया; कहा - शक्ति नहीं जिम्मेदारी निभाएं

'चुनौतियां गंभीर हैं, अब कार्रवाई का समय...', UN चीफ ने G20 देशों को चेताया; कहा - शक्ति नहीं जिम्मेदारी निभाएं

UN Appeal On Global Issues: दुनिया भर में बढ़ती असमानताएं, जलवायु संकट और सशस्त्र संघर्षों के बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने जी20देशों से एक मजबूत अपील की है। उन्होंने कहा कि जी20राष्ट्रों के पास दुनिया की परेशानियों को कम करने और शांति की दिशा में कदम उठाने की अपार क्षमता है। यह अपील दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में हो रहे जी20लीडर्स समिट से ठीक पहले 21नवंबर 2025को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में की गई। गुटेरेस ने जी20नेताओं से कहा कि अब नेतृत्व और दूरदृष्टि दिखाने का समय है, ताकि वैश्विक चुनौतियों से निपटा जा सके।

गुटेरेस की अपील

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने जी20देशों से कहा कि वे अपनी आर्थिक और राजनयिक ताकत का उपयोग वैश्विक समस्याओं को हल करने में करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि वे अपने प्रभाव का उपयोग सुडान, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, साहेल, माली, यूक्रेन, गाजा, हैती, यमन और म्यांमार जैसे क्षेत्रों में मौत, विनाश और अस्थिरता पैदा करने वाले संघर्षों को खत्म करने में करें। उन्होंने कहा 'हर जगह हैती से यमन और म्यांमार तक हमें अंतरराष्ट्रीय कानून पर आधारित शांति चुननी होगी।' 

उन्होंने आगे कहा कि बढ़ती असमानताएं लोकतंत्र में विश्वास को कमजोर कर रही हैं। वे व्यापार बाधाओं को हटाएं और सबसे गरीब देशों को अपने बाजारों तक बिना किसी बाधा के पहुंच प्रदान करें। उन्होंने वैश्विक वित्तीय संरचना में सुधार की मांग की, ताकि विकासशील देशों को अधिक वित्तीय सहायता मिल सके। उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर तत्काल कार्रवाई की अपील की और नवीकरणीय ऊर्जा की ओर न्यायपूर्ण संक्रमण पर जोर दिया।

गुटेरेस ने कहा कि जी20 को जून 2025 में सेविला में फाइनेंसिंग फॉर डेवलपमेंट कॉन्फ्रेंस में किए गए वादों को पूरा करना चाहिए, जिसमें बहुपक्षीय विकास बैंकों की उधार क्षमता को तीन गुना बढ़ाना, उधार लागत कम करना और विकासशील देशों को घरेलू संसाधन जुटाने में मदद करना शामिल है। इसके अलावा उन्होंने सुरक्षा परिषद, आईएमएफ और विश्व बैंक जैसे संस्थानों में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि अफ्रीका, एशिया-पैसिफिक, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन जैसे क्षेत्रों का बेहतर प्रतिनिधित्व हो। उन्होंने कहा कि वर्तमान संरचना आज की दुनिया की वास्तविकता से मेल नहीं खाती।

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