'रूसी तेल खरीदने पर भारत को मिला टैरिफ, लेकिन चीन आजाद क्यों', S. जयशंकर के निशाने पर अमेरिका

'रूसी तेल खरीदने पर भारत को मिला टैरिफ, लेकिन चीन आजाद क्यों', S. जयशंकर के निशाने पर अमेरिका

S. Jaishankar Statement: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में मॉस्को में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिका के रूसी तेल खरीद को लेकर भारत पर लगाए गए टैरिफ पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अमेरिका के दोहरे मापदंड पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार नहीं है, बल्कि यह स्थान चीन के पास है। इसके बावजूद अमेरिका ने भारत पर 25%अतिरिक्त टैरिफ लगाया, जो 27अगस्त 2025से लागू होने वाला है। जबकि चीन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया।

भारत पर टैरिफ, फिर चीन पर क्यों नहीं? 

बता दें, हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल आयात को लेकर भारत पर 25%अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की, जिससे भारत पर कुल टैरिफ 50%तक पहुंच गया। ट्रंप का तर्क है कि भारत की रूसी तेल खरीद रूस-यूक्रेन युद्ध को आर्थिक समर्थन दे रही है। हालांकि, जयशंकर ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि अमेरिका ने स्वयं भारत को वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर करने के लिए रूस से तेल खरीदने का सुझाव दिया था।

जयशंकर ने कहा 'हम रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार नहीं हैं, वह चीन है। हम रूसी एलएनजी के सबसे बड़े खरीदार भी नहीं हैं, वह यूरोपीय संघ है। 2022के बाद रूस के साथ व्यापार में सबसे बड़ा उछाल हमारा नहीं, बल्कि दक्षिण के कुछ देशों का है। फिर भी, केवल भारत को निशाना बनाया जा रहा है, जो समझ से परे है।'

अमेरिकी टैरिफ पर भारत का जवाब

अमेरिकी ट्रेजरी सचिव और व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत पर आरोप लगाया कि वह रूसी तेल खरीदकर उसे रिफाइन कर मुनाफा कमा रहा है, जिससे रूस को युद्ध के लिए आर्थिक मदद मिल रही है। इसके जवाब में जयशंकर ने कहा कि भारत अपनी ऊर्जा नीति राष्ट्रीय हितों और वैश्विक बाजार की स्थिरता के आधार पर तय करता है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने हाल के वर्षों में अमेरिका से तेल और गैस आयात में 51% की वृद्धि की है, जो वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग दोगुना हो गया।

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