गलवान तनाव के बाद PM मोदी का पहला चीन दौरा, SCO शिखर सम्मेलन में करेंगे शिरकत

गलवान तनाव के बाद PM मोदी का पहला चीन दौरा, SCO शिखर सम्मेलन में करेंगे शिरकत

India-China Relation:  भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के आखिर में चीन की यात्रा पर जा सकते हैं। इसी के साथ PM नरेंद्र मोदी चीन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में भाग ले सकते हैं। यह यात्रा 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक तियानजिन शहर में आयोजित होने वाली SCO बैठक के लिए होगी। विशेष रूप से, यह साल 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन सैन्य झड़प के बाद PM मोदी की पहली चीन यात्रा होगी, जिसके कारण दोनों देशों के संबंधों में काफी तनाव देखा गया था।

भापत-चीन संबंधों में होंगे सुघार?

जानकारी के अनुसार, SCO शिखर सम्मेलन में क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, व्यापार और आर्थिक विकास जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। भारत 2017 में SCO का पूर्ण सदस्य बना था। तब से इस संगठन में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है। इस बार के सम्मेलन में PM मोदी के साथ चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अन्य SCO सदस्य देशों के नेताओं के बीच अनौपचारिक और द्विपक्षीय मुलाकातों की संभावना है।

ऐसे में यह मुलाकात भारत-चीन संबंधों में स्थिरता और विश्वास बहाली के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। खासकर तब जब दोनों देशों ने हाल के महीनों में सीमा विवाद को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। गौरतलब है कि साल 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था। हालांकि, कुछ समय से दोनों देश राजनयिक और सैन्य स्तर पर बातचीत के जरिए तनाव को कम करने की कोशिश कर रहे हैं।

क्या है SCO संगठन?

बता दें, साल 2001 में चीन की राजधानी शंघाई में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की स्थापना की गई थी। ये दुनिया का एक प्रभावशाली आर्थिक व सुरक्षा समूह है। इस समूह में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान शामिल हैं। SCO के सदस्य देशों में दुनिया की करीब 40 फीसदी आबादी रहती है। वहीं, ये देश पूरी दुनिया की 20 फीसदी जीडीपी की हिस्सेदारी रखते हैं।

इस संगठन का उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना है। इसके अलावा ये संगठन आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ संयुक्त रूप से लड़ाई लड़ने पर भी जोर देता है। इसके अलावा व्यापार, निवेश और परिवहन के क्षेत्र में सहयोग को भी बढ़ावा देता है।

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