
India-America Tariff War: टैरिफ वॉर की वजह से भारत और अमेरिका के बीच कूटनीतिक संबंधों में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। इसी बीच, जर्मन अखबार फ्रैंकफर्टर ऑलगेमाइन ने दोनों देशों के संबंधों को लेकर एक हैरान करने वाला दावा किया है। दरअसल, अखबार का दावा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत की कोशिश की गई। लेकिन पीएम ने फोन कॉल्स का जवाब देना बंद कर दिया है। अखबार का कहना है कि पीएम मोदी ने ट्रंप से बात करने से मना कर दिया। हालांकि, अभी तक भारत सरकार की ओर से इस दावे पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
ट्रंप के कॉल्स पर PM मोदी की चुप्पी
बता दें, जर्मन अखबार फ्रैंकफर्टर ऑलगेमाइन (FAZ) ने अपने लेख में दावा किया है कि डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में PM मोदी से संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन उनके कॉल्स का जवाब नहीं मिला। ऐसे में इस दावे ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या यह भारत की ओर से एक जानबूझकर किया गया कदम है? क्या यह अमेरिकी नीतियों के प्रति भारत के असंतोष को दर्शाता है?
इसके अलावा जर्मन अखबार ने भारत-अमेरिका संबंधों के आयाम और ऑपरेशन सिंदूर के बाद दोनों देशों के बीच पैदा हुए विवाद पर विस्तार से टिप्पणी की है। अखबार का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति अपने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूर करने की कोशिश में लगे हुए है।
भारत की नाराजगी और स्वतंत्र विदेश नीति
अखबार ने आगे लिखा है कि फरवरी 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस में अपने अतिथि पीएम मोदी को खूब तारीफ की थी और उन्हें महान नेता का दर्जा तक दिया था। लेकिन अब ट्रंप ने अपने असली रंग दिखाने शुरु कर दिए है। इस मुद्दे पर जर्मन अखबार का कहना है कि ट्रंप ने मोदी से बात करने की कई हार कोशिश की। लेकिन उन्होंने बातचीत से साफ मना कर दिया। जो भारत को नाराजगी को दर्शाती है। मालूम हो कि भारत ने हमेशा अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को प्राथमिकता दी है। हाल के सालों में भारत ने रूस और अन्य देशों के साथ अपने संबंधों को बनाए रखा है, जो अमेरिका को हमेशा स्वीकार्य नहीं रहा।
अमेरिकी विशेषज्ञों ने क्या कहा?
कई अमेरिकी विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की यह रणनीति अमेरिका की कुछ नीतियों के प्रति असहमति का परिणाम हो सकती है। जैसे - ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति। दरअसल, इस नीति ने वैश्विक सहयोगियों के साथ कुछ तनाव पैदा किया है। भारत जैसे देश, जो अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को प्राथमिकता देते हैं, शायद ट्रंप की इस नीति को अपनी स्वायत्तता पर दबाव के रूप में देख रहे हैं। इसके अलावा कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि PM मोदी का कॉल्स न उठाना एक कूटनीतिक संदेश हो सकता है कि भारत अमेरिका के साथ सहयोग तो करना चाहता है, लेकिन वह किसी भी तरह के दबाव में नहीं आएगा।
Leave a comment