बढ़ेगी कड़वाहट या कायम रहेगी दोस्ती…चुनाव में मोइज्जू की जीत का भारत-मालदीव संबंधों पर क्या होगा असर?

बढ़ेगी कड़वाहट या कायम रहेगी दोस्ती…चुनाव में मोइज्जू की जीत का भारत-मालदीव संबंधों पर क्या होगा असर?

Maldives Election Result'इंडिया आउट' का नारा देने वाले भारत विरोधी मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी ने मालदीव में हुए संसदीय चुनाव में बड़ी जीत हासिल की है। मुइज्जू की पार्टी पीएनसी ने विपक्षी पार्टी एमडीपी को हरा दिया। माना जा रहा है कि फिर मालदीव की जनता को भारत विरोधी मुइज्जू पसंद आ गया है। 93 सीटों पर हुए चुनाव में पीएनसी को 66 सीटें मिलीं।

बता दें कि, मुइज्जू की यह जीत भारत-मालदीव संबंधों को और कमजोर कर सकती है, क्योंकि पिछले साल सत्ता में आने के बाद राष्ट्रपति मुइज्जू ने इंडिया आउट का नारा दिया था। मालदीव के राष्ट्रपति ने वहां तैनात भारतीय सैनिकों को वापस भेजना शुरू कर दिया था। भारत को उम्मीद थी कि मालदीव में संसदीय चुनाव में एक बार फिर मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी को बहुमत मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

मालदीव ने चीन के साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये

दरअसल, मालदीव ने चीन के साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। चीन मालदीव पर अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहता है, इसलिए मालदीव ने भारत के साथ अपनी निर्भरता कम करना शुरू कर दिया है। मालदीव ने खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भारत पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए भी कई कदम उठाए। इनमें खाद्य पदार्थों और फार्मास्युटिकल उत्पादों की आपूर्ति के लिए तुर्की और अन्य देशों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। हालांकि, हाल ही में माले में हुए मेयर चुनाव में मुइज्जू की पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा, लेकिन इस जीत ने माहौल बदल दिया है।

मुइज्जू पार्टी की जीत, अब क्या होगा?

राष्ट्रपति मोइज्जू की पार्टी ने चुनाव जीत लिया है। अब मालदीव में अगले 5 साल तक चीन समर्थक सरकार रहेगी। अगर विपक्ष सफल रहा तो मुइज्जू को संसद में बिल पास कराने और इंडिया आउट पॉलिसी को आगे बढ़ाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

भारत-मालदीव संबंध

मालदीव भारत के लिए बेहद अहम है। यह अरब सागर और उससे आगे के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है। इससे भारत को समुद्री यातायात की निगरानी करने और क्षेत्रीय सुरक्षा बढ़ाने की अनुमति मिलती है। 1965 में ब्रिटिश द्वारा द्वीपों का नियंत्रण छोड़ने के बाद से भारत और मालदीव के बीच घनिष्ठ संबंध रहे हैं। 2008 में लोकतांत्रिक परिवर्तन के बाद से, भारत ने मालदीव में राजनीतिक, सैन्य, व्यापार और नागरिक समाज संबंधों के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे।

इसी वजह से शुरू हुआ भारत के साथ विवाद

भारत-मालदीव संबंधों में खटास तब शुरू हुई जब नवंबर 2023 में मालदीव के राष्ट्रपति ने पदभार संभाला। मुइज्जू ने कहा था कि वह मालदीव से भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने के अपने चुनावी वादे को पूरा करेंगे। फिर 2 जनवरी 2024 को पीएम नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप का दौरा किया। उन्होंने समुद्र तट पर कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कीं। प्रधानमंत्री ने लिखा कि 'यात्रा करने वालों को लक्षद्वीप जाना चाहिए।' इस पर मालदीव के कई मंत्री बयान देने लगे।

एक ने कहा था कि भारत के तट मालदीव के तटों के सामने कुछ भी नहीं हैं, वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव का नाम तक नहीं लिया। इसके बाद सोशल मीडिया पर बॉयकॉट मालदीव ट्रेंड करने लगा और पर्यटन भी काफी कम हो गया। हाल ही में न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में पीएम मोदी से पाकिस्तान, चीन और मालदीव के साथ भारत के रिश्तों के बारे में पूछा गया। पीएम ने इसे 'आंतरिक राजनीति' बताया है।

Leave a comment