Israel-Iran Conflict: 13-14 अप्रैल की रात को ईरान ने इजराइल पर करीब 300 मिसाइलें और ड्रोन दागे। हालांकि, इजराइल ने इस हमले को काफी हद तक नाकाम कर दिया। लेकिन इस हमले ने मध्य पूर्व में एक और युद्ध को बढ़ावा दे दिया है। पहले रूस-यूक्रेन, फिर इजराइल-हमास और अब इजराइल-ईरान, एशिया एक और युद्ध के कगार पर खड़ा है। फिलहाल दोनों देशों की सेनाएं स्टैंडबाय पर हैं, लेकिन स्थिति तनावपूर्ण है। दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव से मध्य एशिया और यूरोप समेत पूरी दुनिया चिंतित है।
अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश हालात पर नजर बनाए हुए हैं। भारत भी स्थिति पर नजर बनाए हुए है। विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी कर दोनों देशों को तनाव खत्म करने की सलाह दी है। लेकिन अगर युद्ध की स्थिति बनी तो क्या भारत पर भी असर पड़ेगा?आए कुछ प्रमुख बिंदुओं पर नजर डालते है।।।
भारत के लिए हो रस्सी पर चलने जैसी स्थिति
1-भारत के इज़राइल और ईरान दोनों के साथ गहरे राजनयिक संबंध हैं और ये रिश्ते आज से नहीं बल्कि राजनयिकों की दशकों की बुद्धिमत्ता और कड़ी मेहनत से मजबूत हुए हैं। इसलिए अगर इजरायल और ईरान के बीच तनाव बढ़ता है तो भारत के लिए किसी का पक्ष लेना मुश्किल हो जाएगा। भारत के लिए यह तंग रस्सी पर चलने जैसी स्थिति पैदा कर देगा।
2-इजराइल भारत का पुराना दोस्त है। दोनों देशों के बीच गहरे रणनीतिक रिश्ते हैं, खासकर रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में। नरेंद्र मोदी सरकार में भारत और इजराइल के रिश्ते न सिर्फ मजबूत हुए हैं बल्कि मुखर भी हुए हैं। यही वजह है कि पिछले साल 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के हमले के बाद जब दोनों के बीच युद्ध शुरू हुआ तो शुरुआती घंटों में ही भारत ने इजरायल के प्रति अपना समर्थन जाहिर कर दिया था।
3-लेकिन भारत के ईरान के साथ भी मजबूत राजनयिक संबंध हैं। ईरान लंबे समय से भारत को कच्चे तेल का प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है। हालाँकि, अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण इस पर असर पड़ा। जो दोनों देशों के लिए हानिकारक था।
90लाख प्रवासी भारतीयों पर होगा जंग का असर
4- इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइल में 18 हजार, ईरान में पांच से दस हजार भारतीय रहते हैं। किसी भी तरह की असहज स्थिति होने पर इन एनआरआई की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। ऐसे में भारत सरकार के लिए मुश्किल हो जाएगी। लेकिन बात सिर्फ इन दोनों देशों में रहने वाले भारतीयों तक ही सीमित नहीं है। खाड़ी देशों में करीब 90 लाख भारतीय हैं। इनमें से अधिकतर लोग काम की तलाश में वहां गये हैं। अगर ईरान और इजराइल के बीच तनाव बढ़ा तो इन 90 लाख प्रवासियों पर असर पड़ेगा।
तेल के दाम भारत की अर्थव्यवस्था पर डालेंगे गहरा असर
5-रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद कच्चे तेल ने कई देशों को मुसीबत में डाल दिया था। भारत भी उनमें से एक था। हालाँकि, भारत ने पश्चिम से लड़ाई की और रूस के साथ सस्ती कीमत पर तेल समझौते पर हस्ताक्षर किए। जिससे पेट्रोल-डीजल की सप्लाई और कीमत दोनों पर कोई असर नहीं पड़ा। लेकिन भारत अपना करीब 80 फीसदी तेल पश्चिम एशिया से खरीदता है। ऐसे में अगर मध्य पूर्व में दोबारा युद्ध होता है तो भारत के लिए तेल क्षेत्र में बड़ी चुनौती हो सकती है।
6-तेल सिर्फ गाड़ियाँ नहीं चलाता, पूरी अर्थव्यवस्था चलाता है। इसकी कीमतें मुद्रास्फीति से सीधे आनुपातिक हैं। अंग्रेजी में, यह सीधे आनुपातिक है। यानी अगर तेल के दाम बढ़े तो सब्जियां, दूध, अनाज समेत हर सामान महंगा हो जाएगा। जो किसी भी देश की सरकार के लिए आसान स्थिति नहीं है।
7-पाकिस्तान हमें मध्य एशिया में निर्यात करने की इजाजत नहीं देता। इसलिए ईरान का चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान समेत अन्य देशों के लिए आयात-निर्यात का जरिया है। अगर युद्ध जैसी स्थिति पैदा हुई तो भारत के निर्यात पर भी असर पड़ सकता है।
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