कौन हैं कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त? जिनकी कायस्थ समाज करता है पूजा

कौन हैं कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त? जिनकी कायस्थ समाज करता है पूजा

Chitragupta Puja: चित्रगुप्त हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पौराणिक व्यक्तित्व हैं, जिन्हें यमराज के सहायक और मानव कर्मों के लेखाकार के रूप में जाना जाता है। कायस्थ समाज में उनकी विशेष पूजा की जाती है, क्योंकि उन्हें इस समुदाय का उत्पत्तिकर्ता और कुलदेवता माना जाता है। तो आइए चित्रगुप्त के महत्व, उत्पत्ति और कायस्थ समाज में उनकी पूजा की परंपरा के बारे में जानते है।

चित्रगुप्त की उत्पत्ति और पौराणिक कथा

हिंदू पुराणों की मानें तो चित्रगुप्त का जन्म भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र के रूप में हुआ था। एक कथा के अनुसार, जब यमराज को मृत्यु के बाद मनुष्यों के कर्मों का हिसाब रखने में कठिनाई हुई, तब ब्रह्माजी ने अपने शरीर (या कुछ मान्यताओं के अनुसार चित्र से) चित्रगुप्त की रचना की। उन्हें मानव कर्मों का लेखा-जोखा रखने और उनके आधार पर स्वर्ग-नरक का निर्णय करने का दायित्व सौंपा गया।

चित्रगुप्त का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है: चित्र (चित्रण या लेखन) और गुप्त (रहस्यमयी या संरक्षित)। इस प्रकार, उनका नाम उनके कार्य को दर्शाता है—कर्मों का गुप्त और सटीक लेखन। वे यमराज के लेखाकार के रूप में कार्य करते हैं और हर मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब उनकी पुस्तक में दर्ज करते हैं।

चित्रगुप्त और कायस्थ समाज

कायस्थ समाज चित्रगुप्त को अपने कुलदेवता के रूप में पूजता है। मान्यता है कि चित्रगुप्त के बारह पुत्रों से कायस्थ वंश की उत्पत्ति हुई, जिन्हें बारह उप-जातियों (जैसे सक्सेना, श्रीवास्तव, माथुर, आदि) के रूप में जाना जाता है। कायस्थों का पारंपरिक पेशा लेखन, प्रशासन, और लेखा-जोखा से जुड़ा रहा है, जो चित्रगुप्त के गुणों से प्रेरित माना जाता है।

कायस्थ समाज में चित्रगुप्त को बुद्धि, ज्ञान और लेखन कला का प्रतीक माना जाता है। उनकी पूजा विशेष रूप से चित्रगुप्त पूजा या दवात पूजा के रूप में की जाती है, जो यम द्वितीया (दीपावली के बाद दूसरा दिन) को मनाई जाती है। इस दिन कायस्थ परिवार अपने लेखन उपकरणों (जैसे कलम, स्याही, और कागज) की पूजा करते हैं और चित्रगुप्त से समृद्धि व ज्ञान की प्रार्थना करते हैं।

चित्रगुप्त पूजा की परंपरा

चित्रगुप्त पूजा का आयोजन कायस्थ समुदाय में धूमधाम से किया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों में चित्रगुप्त की मूर्ति या चित्र स्थापित करते हैं।

  1. लेखन सामग्री को पवित्र माना जाता है और इसे चित्रगुप्त के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।
  2. चित्रगुप्त के मंत्रों का जाप और हवन किया जाता है।
  3. पूजा के बाद मिठाई और अन्य प्रसाद वितरित किए जाते हैं।

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