Govardhan Puja: गोवर्धन पूजा का पर्व दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष गोवर्धन पूजा 22अक्टूबर 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी। प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21अक्टूबर को शाम 5:54बजे होगी और इसका समापन 22अक्टूबर को रात 8:16बजे होगा। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने और दुखों से मुक्ति के लिए गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है।
पूजा के शुभ मुहूर्त: कब करें गोवर्धन की आराधना
पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा के लिए दो मुख्य मुहूर्त बताए गए हैं:
प्रथम पूजा मुहूर्त: सुबह 6:20 AM से 8:38 AM
द्वितीय पूजा मुहूर्त: दोपहर 3:13 PM से 5:49 PM
इसके अलावा अन्य शुभ योग भी इस समय बन रहे हैं:
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:45 AM से 5:35 AM
विजय मुहूर्त: दोपहर 1:58 PM से 2:44 PM
गोधूलि मुहूर्त: शाम 5:44 PM से 6:10 PM
अमृत काल: दोपहर 4:00 PM से 5:48 PM
इन मुहूर्तों में गोवर्धन की पूजा करना अत्यंत फलदायक माना जाता है।
गोवर्धन पूजा की कथा: इंद्र का घमंड तोड़ श्रीकृष्ण ने रची लीला
श्रीमद्भागवत पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, जब इंद्रदेव को अपनी शक्ति पर घमंड हो गया, तो भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र की बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए प्रेरित किया। इससे क्रोधित होकर इंद्र ने मूसलधार वर्षा शुरू कर दी। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गांववासियों को सुरक्षित किया। इसके बाद इंद्रदेव ने अपनी भूल स्वीकार की और तभी से गोवर्धन पूजा की परंपरा शुरू हुई।
56भोग का अर्पण और पर्व का महत्व
गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग अर्पित किए जाते हैं। श्रद्धालु गाय, गोवर्धन पर्वत और गौचर भूमि की पूजा करते हैं। यह पर्व मथुरा, वृंदावन सहित पूरे भारत में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विधिवत पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
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