Ramadan 2021: रमजान के महीने को क्यों कहा जाता है पाक, जानें

Ramadan 2021: रमजान के महीने को क्यों कहा जाता है पाक, जानें

नई दिल्ली: इस्लाम धर्म का सबसे पाक महीना रमजान-ए-पाक महीना शुरू होने वाला है. रमजान के महीने की शुरुआत चांद देखने के बाद होती है. भारत में रमजान 13 अप्रैल से शुरू होने की उम्मीद है. अगर 12 अप्रैल को चांद दिखाई देता है तो 13 अप्रैल को रमजान का पहला रोजा होगा. और यदि 13 अप्रैल को चांद दिखाई देगा तो पहला रोजा 14 अप्रैल को रखा जाएगा.

रमजान के इस पाक महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग 29 या 30 दिन तक रोजा रखते है. और कुरान पढ़ते है. हर दिन की नमाज के अलावा रमजान में रात के वक्त एक विशेष नमाज ‘तरावीह की नमाज’ भी पढ़ना होता है. रमजान में नमाज और रोजा रखने के साथ तरावीह पढ़ने को भी काफी महत्व दिया गया है. इसी रात से सूरज निकलने से पहले सुबह के समय सहरी खाकर मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान का पहला रोजा रखकर अपनी इबादतों का सिलसिला शुरू करते हैं.

इसी रात से सूरज निकलने से पहले सुबह के समय सहरी खाकर मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान का पहला रोजा रखकर अपनी इबादतों का सिलसिला शुरू करते हैं. इस्लाम धर्म में सहरी और इफ्तार करने को बेहद महत्व दिया गया  है. सहरी सुबह सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को कहते हैं. सहरी खाकर ही रोजा रखा जाता है. कहा जाता है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब ने सहरी करने को सुन्नत बताया है. कहते हैं कि सहरी करने से बरकत हासिल होती है. इसलिए सहरी करने से सवाब मिलता है. शाम में सूरज ढलने पर रोजा खोलने को इफ्तार कहते हैं. कहते हैं इफ्तार के समय रोजेदार दिल से जो दुआ मागंते हैं, अल्लाह उनकी तमाम जायज दुआएं कुबूल करते है.

मुस्लिम समुदाय के लोग साल भर रमजान का बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि ऐसी मान्यताएं हैं कि इस महीने अल्लाह अपने बंदों को बेशुमार रहमतों से नवाजते है और दोजख (जहान्नम) के दरवाजे बंद कर के जन्नत (स्वर्ग) के दरवाजे खोल देते है. और अल्लाह भूखे-प्यासे रहकर खुदा की इबादत करने वालों के गुनाह को माफ करते हैं.

मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए रमजान का महीना का महत्व इसलिए भी है इसी रमजान के महीने में 21वें रोजे को ही पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के द्वारा अल्लाह ने ‘कुरान शरीफ' को अस्तित्व में लाया था. जिससे लोगों को इल्म और तहजीब की रोशनी मिली. खुद को खुदा की राह में समर्पित कर देने का प्रतीक पाक महीना ‘माह-ए-रमजान’ न सिर्फ रहमतों और बरकतों की बारिश नवाजता है बल्कि समूची मानव जाति को प्रेम, भाईचारे और इंसानियत का संदेश देते हुए इस्लाम के सार-तत्व को भी जाहिर करता है.

पांच फर्जों में शामिल है रोजा

इस्लाम धर्म में कलमा, नमाज, रोजा, जकात और हज को फर्ज माना गया है. इन फर्जों में रोजा का अपना एक अलग महत्व है. रमजान के महीने में रोजे रखना 7 साल की उम्र के बाद से हर सेहतमंद मुसलमान पर लागू होता है. नाबालिग, बीमार व शारीरिक रूप से लाचार लोगों के लिए यह फर्ज माफ है. सबसे अधिक उत्साह उन बच्चों होता है, जो पहली बार रोजा रखने जा रहे होते हैं.

कहा जाता है कि रमजान के महीने में अल्लाह अपने बंदों की हर जायज दुआ को कुबूल करता है और उनको गुनाहों से बरी करता है. रोजा रखने के लिए चारित्रिक शुद्धता जरूरी रहती है. इस महीने में सक्षम लोग अनिवार्य रूप से अपनी कुल संपत्ति का एक निश्चित हिस्सा निकालकर उसे 'जकात' के तौर पर गरीबों में बांटते हैं.

 

रोजा के दौरान की किन चीजों की है मनाई

•             रोजा रखने के दौरान रोजेदार को खाने के बारे में नहीं सोचना चाहिए और पूरे दिन अपने मन को साफ पाक रखना चाहिए.

•             रोजेदार को किसी की बुराई या बेइज्जती नहीं करनी चाहिए. अगर रोजा रखने वाला व्यक्ति किसी के बारे में गलत सोचता है तो उसका रोजा फलता नहीं है.

•             रोजेदार को दिनभर में कुल पांच बार नमाज पढ़ना चाहिए. सूरज निकलने से पहले सेहरी करना चाहिए है.

•             सूरज के ढलने के बाद इफ्तार करना चाहिए. रोजा खोलने से पहले खुदा की इबादत की जाता है.

•             रोजा रखने वाले व्यक्ति को अपना रोजा खजूर खाकर तोड़ना होता है और फिर दूसरी चीजें खा सकते हैं.

•            रोजे का मतलब बस भूखे प्यार रहने ही नहीं है बल्कि आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है. मतलब न ही इस दौरान कुछ बुरा देखें,   न बुरा सुनें और न ही बुरा बोलें.

•             रोजे के दौरान गलत भावना मन में नहीं लाना चाहिए.

•             रोजा रखने वाले को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि इस समय दांत में फंसा हुआ खाना जानबूझकर न निगले नहीं तो उसका रोजा टूट जाएगा.

आईए देखे रमजान में सहरी और इफ्तार का समय (Ramadan 2021Sehri & Iftar Timings):

14 अप्रैल 2021- सुबह 4:13 बजे – शाम 6 : 21बजे

15 अप्रैल 2021- सुबह 4:12 बजे – शाम 6 : 21बजे

16 अप्रैल 2021- सुबह 4:11 बजे – शाम 6 : 22 बजे

17 अप्रैल 2021- सुबह 4:10 बजे – शाम 6 : 22बजे

18 अप्रैल 2021- सुबह 4:09 बजे – शाम 6 : 23 बजे

19 अप्रैल 2021- सुबह 4:07 बजे – शाम 6 : 23 बजे

20 अप्रैल 2021- सुबह 4:06 बजे – शाम 6 : 24 बजे

21 अप्रैल 2021- सुबह 4:05 बजे – शाम 6 : 24 बजे

22 अप्रैल 2021- सुबह 4:04 बजे – शाम 6 : 25 बजे

23 अप्रैल 2021- सुबह 4:03 बजे – शाम 6 : 25 बजे

24 अप्रैल 2021- सुबह 4:13 बजे – शाम 6 : 21बजे

25 अप्रैल 2021- सुबह 4:01 बजे – शाम 6 : 26 बजे

26 अप्रैल 2021- सुबह 4:00 बजे – शाम 6 : 27 बजे

27 अप्रैल 2021- सुबह 3: 59 बजे – शाम 6 : 28 बजे

28 अप्रैल 2021- सुबह 3: 58 बजे – शाम 6 : 28बजे

29 अप्रैल 2021- सुबह 3: 57 बजे – शाम 6 : 29 बजे

30 अप्रैल 2021- सुबह 3 : 56 बजे – शाम 6 : 29 बजे

1 मई 2021- सुबह 3 : 55 बजे – शाम 6 : 30 बजे

2 मई 2021- सुबह 3 : 54 बजे – शाम 6 : 30 बजे

3 मई 2021- सुबह 3 : 53 बजे – शाम 6 : 31 बजे

4 मई 2021- सुबह 3 : 52 बजे – शाम 6 : 31बजे

5 मई 2021- सुबह 3 : 51 बजे – शाम 6 : 32 बजे

6 मई 2021- सुबह 3 : 50 बजे – शाम 6 : 32 बजे

7 मई 2021- सुबह 3 : 49 बजे – शाम 6 : 33 बजे

8 मई 2021- सुबह 3 : 48 बजे – शाम 6 : 34 बजे

9 मई 2021- सुबह 3 : 47 बजे – शाम 6 : 34 बजे

10 मई 2021- सुबह 3 : 46 बजे – शाम 6 : 35 बजे

11 मई 2021- सुबह 3 : 45 बजे – शाम 6 : 35 बजे

12 मई 2021- सुबह 3 : 44 बजे – शाम 6 : 36 बजे

13 मई 2021– सुबह 3 : 44 बजे – शाम 6 : 36 बजे

 

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