दिल्ली की हवा हुई दमघोंटू, दिवाली से पहले धूल-धुआं बनी चुनौती; AQI 350 के पार

दिल्ली की हवा हुई दमघोंटू, दिवाली से पहले धूल-धुआं बनी चुनौती; AQI 350 के पार

Delhi Air Pollution: त्योहारों की धूम में डूबते दिल्ली-NCR के लोग अब प्रदूषण के काले बादल के साये में हैं। दिवाली से पहले ही राजधानी की हवा 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुंच गई है, जहां धूल भरी आंधी और वाहनों के धुएं ने आसमान को धुंधला कर दिया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताजा आंकड़ों की मानें तो शुक्रवार सुबह 8बजे दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 367दर्ज किया गया, जो 301-400की 'बहुत खराब' रेंज में आता है। यह स्तर सांस की बीमारियों को बढ़ावा दे सकता है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए।

कई इलाकों में धूल भरी सुबह

शहर के कई कोनों में धूल की मोटी चादर बिछ गई है। आनंद विहार में AQI 370, अक्षरधाम में 369, वजीरपुर में 328और जहांगीरपुरी में 324तक पहुंच गया। तो वहीं, NCR के अन्य हिस्सों में भी हाल बेहाल है, नोएडा के सेक्टर 125में 334, गाजियाबाद के लोनी में 358और गुरुग्राम में 267का स्तर दर्ज हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि शुष्क मौसम और हल्की हवाओं (5-6किमी/घंटा) ने प्रदूषकों को जमीन के करीब कैद कर लिया है। मौसम विभाग (IMD) ने 17-18अक्टूबर के लिए हल्की धुंध का अलर्ट जारी किया है, जबकि दिवाली (20अक्टूबर) पर कोहरे की आशंका है। न्यूनतम तापमान 18.1डिग्री सेल्सियस तक गिर चुका है, जो ठंड की दस्तक के साथ प्रदूषण को और गहरा बना रहा है।

पिछले चार दिनों से AQI लगातार 'खराब' से 'बहुत खराब' की ओर बढ़ रहा है। 16अक्टूबर को 245, 17अक्टूबर को 254और अब 367। मालूम हो कि धूल का बड़ा योगदान सड़क निर्माण, वाहनों की रफ्तार और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से आ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में 20, हरियाणा में 2और उत्तर प्रदेश में 49पराली जलाने की घटनाएं दर्ज हुईं, जो हवा के साथ दिल्ली तक पहुंच रही हैं।

प्रदूषण की मुख्य वजह

दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों का उत्सर्जन सबसे बड़ा दोषी है, जो कुल 17.9% योगदान दे रहा है। उसके बाद धूल (16.7%) और औद्योगिक उत्सर्जन। शहरीकरण की रफ्तार ने सड़कों पर धूल उड़ाने वाले वाहनों को बढ़ावा दिया है, जबकि शांत हवाएं प्रदूषकों को फैलने नहीं दे रही। पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, पीएम2.5 कणों का स्तर सामान्य से 13% ऊपर है, जो फेफड़ों तक पहुंचकर सांस, हृदय रोग और कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं। एक अध्ययन के मुताबिक, 2009-2019 के बीच भारत में 38 लाख मौतें वायु प्रदूषण से जुड़ी रहीं, जहां पीएम2.5 का स्तर 40 माइक्रोग्राम/घन मीटर से अधिक था। दिवाली का इंतजार कर रही दिल्ली में यह प्रदूषण 'दमघोंटू' साबित हो रहा है। सुबह-सुबह लोग मास्क पहनकर निकल रहे हैं, लेकिन धुंध ने विजिबिलिटी घटा दी है।

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