Mahakumbh 2025 Akhada: क्यों पड़ी अखाड़ों के निर्माण जरुरत ? जानें अखाड़ो का पूरा इतिहास

Mahakumbh 2025 Akhada: क्यों पड़ी अखाड़ों के निर्माण जरुरत ? जानें अखाड़ो का पूरा इतिहास

Mahakumbh 2025: भारतीय सनातन धर्मके प्रतिक आदिगुरू शंकराचार्य का जन्म 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था। जिस दौरान भारतीय लोगों की स्थिति अच्छी नहीं थी। साथ ही हर मनुष्य एक अलग ही दिशा में था। क्योंकि इस वक्त भारत आक्रमणकायों का कब्जा था। कुछ आक्रमणकारी भारत के खजाने को लेकर वापस चले गए। तो वहीं कुछ भारत में ही बस गए। जिसके चलते ईश्वर, धर्म, के साथ शस्त्र और शास्त्रों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था।

बता दें, भारत के ऐसे समय में आदिगुरू शंकराचार्य ने सनातन धर्म की स्थापना के लिए कई कदम बड़े उठाए थे। देश के चार कोनों पर चार पीठों के निर्माण और सनातन धर्म के विभिन्न संप्रदायों की सशस्त्र शाखाओं के रूप में अखाड़ों की स्थापना की शुरुआत की। क्योंकि ये वह दौर था। जब मठों और मंदिरों की संपत्ति लूटी जा रही थी।

सनातन धर्म के प्रमुख अखाड़े

लेकिन आजांदी के बाद इन अखाड़ों ने अपना सैन्य चरित्र छोड़ दिया। इन अखाड़ों के प्रमुखों का कहना था कि संस्कृति और दर्शन के सनातनी संयमित जीवन जीएं। कुछ  प्रमुख अखाड़ों को इस प्रकार है।

1. श्री निरंजनी अखाड़ा

यह अखाड़ा 826 ईस्वी में गुजरात के मांडवी में स्थापित हुआ था। इस अखाड़े के ईष्ट देव भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकस्वामी हैं। इसकी शाखाएं प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार, त्र्यंबकेश्वर और उदयपुर में हैं।

2. श्री निर्मोही अखाड़ा

इस अखाड़े की स्थापना 1720 में रामानंदाचार्य ने की थी। इसके मठ और मंदिर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और बिहार में हैं।मान्यता है प्राचीन काल में लोमश नाम के ऋषि थे। जिनकी आयु अकिंत होती थी। आचार्य लोमश ऋषि ने भगवान शंकर के कहने पर सबसे पहले तंत्र शास्त्र पर आधारित आगम मठ की स्थापना की थी।  जो विश्व में सबसे प्राचीन है।

3. श्री वैष्णव अखाड़ा

यह बालानंद अखाड़ा 1595 में दारागंज में श्री मध्यमुरारी में स्थापित हुआ। समय के साथ इनमें निर्मोही, निर्वाणी, खाकी आदि तीन संप्रदाय बने।

4. श्री जूना अखाड़ा

इस अखाड़े की स्थापना 1145 में उत्तराखंड के कर्णप्रयाग में हुई थी। इसे भैरव अखाड़ा भी कहते हैं। इनके ईष्ट देव रुद्रावतार दत्तात्रेय हैं। इसका केंद्र वाराणसी के हनुमान घाट पर माना जाता है।

5. श्री पंचाग्नि अखाड़ा

इस अखाड़े की स्थापना 1136 में हुई थी। इनकी इष्ट देव गायत्री हैं और इनका प्रधान केंद्र काशी है। इनके सदस्य चारों पीठ के शंकराचार्य, ब्रहमचारी, साधु और महामंडलेश्वर होते हैं। इस अखाड़े की  शाखाएं प्रयागराज हरिद्वार, उज्जैन और त्र्यंबकेश्वर में हैं।

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